क्या अजय देवगन ने हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर ‘सिंघम’ अंदाज में प्रतिक्रिया दी?

सारांश
Key Takeaways
- अजय देवगन ने अपनी फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर विवाद पर प्रतिक्रिया दी।
- हिंदी और मराठी भाषाओं का सम्मान महत्वपूर्ण है।
- राजनीति में भाषाई विवाद का उपयोग किया जा रहा है।
- स्थानीय भाषा का सम्मान करना आवश्यक है।
- हर भाषा का अपना महत्व है।
मुंबई, ११ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर अभिनेता अजय देवगन ने ‘सिंघम’ अंदाज में प्रतिक्रिया दी। अपनी आगामी फिल्म ‘सन ऑफ सरदार २’ के ट्रेलर लॉन्च इवेंट में मीडिया से बातचीत के दौरान अजय ने सिर्फ सिंघम के प्रसिद्ध डायलॉग 'आता माझी सटकली' के साथ अपनी बात कही।
कई प्रसिद्ध हस्तियों ने भाषाई विविधता का समर्थन किया है। गायक उदित नारायण ने कहा, “महाराष्ट्र मेरी कर्मभूमि है, इसलिए मराठी भाषा महत्वपूर्ण है। लेकिन भारत में हर भाषा को समान सम्मान मिलना चाहिए।”
अनूप जलोटा ने भी इसी भावना को व्यक्त करते हुए कहा, “हर भाषा महत्वपूर्ण है। मैं मराठी में भी गाता हूं। हिंदी हमारी मातृभाषा है, लेकिन दूसरी भाषाएं सीखना सभी के लिए फायदेमंद है।”
इससे पहले इस मामले में कंगना रनौत ने भी अपनी राय साझा की थी। राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए उन्होंने देश की एकता पर जोर देते हुए कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए संसनी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
कंगना ने मराठी और हिमाचली लोगों की तुलना करते हुए कहा, "महाराष्ट्र के लोग, विशेषकर मराठी लोग, बहुत प्यारे और सीधे-साधे हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारे हिमाचली लोग हैं। कुछ लोग राजनीति में छा जाने के चक्कर में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सनसनी फैलाते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब एक देश के हिस्से हैं।"
‘सीआईडी’ फेम अभिनेता हृषिकेश पांडे ने कहा, “मराठी महाराष्ट्र का गर्व है, जैसे गुजराती गुजरात में या बंगाली बंगाल में। स्थानीय भाषा का सम्मान करना आवश्यक है। लेकिन, भारत में लोग काम के लिए अलग-अलग राज्यों से आते हैं। हर किसी के लिए नई भाषा तुरंत सीखना आसान नहीं होता।”
अभिनेता जैन दुर्रानी ने कहा, "भारत में कई भाषाएं और संस्कृतियां हैं। मेरा मानना है कि हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां की भाषा का सम्मान करना आवश्यक है। यह सम्मान केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति अपनाने और अपनी संस्कृति साझा करने के लिए होना चाहिए।"
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी विवाद दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। यह विवाद स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार के एक आदेश के जारी होने के बाद शुरू हुआ। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी किया कि पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा। इस आदेश के जारी होने पर विपक्ष भड़क गया और जमकर आलोचना की। इस बीच राज्य सरकार ने हिंदी को लेकर जारी सरकारी आदेश को वापस ले लिया।