क्या पिता से कभी बहस नहीं करनी चाहिए? अनुपम खेर ने उम्र के हर चरण में पिता-पुत्र के रिश्ते को समझाया

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क्या पिता से कभी बहस नहीं करनी चाहिए? अनुपम खेर ने उम्र के हर चरण में पिता-पुत्र के रिश्ते को समझाया

सारांश

अनुपम खेर ने अपने अनुभवों के माध्यम से बताया है कि पिता-पुत्र का रिश्ता उम्र के साथ कैसे बदलता है। इस दिलचस्प वीडियो में उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि क्यों हमें अपने पिताओं के साथ बहस नहीं करनी चाहिए। जानें इस रिश्ते की गहराई को।

Key Takeaways

  • पिता का अनुभव हमेशा महत्वपूर्ण होता है।
  • हर उम्र में पिता-पुत्र का रिश्ता बदलता है।
  • अवसर पर पिताओं का सम्मान करें।
  • समय के साथ रिश्तों में समझदारी आती है।
  • पिता के सबक जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

मुंबई, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर अक्सर अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं और उनसे मिले महत्वपूर्ण सबक को उजागर करते हैं। हाल ही में, उन्होंने पिता-पुत्र के रिश्तों पर अपनी राय साझा की। इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में, उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह रिश्ता उम्र के विभिन्न पड़ावों पर विकसित होता है।

उन्होंने कहा कि बचपन से लेकर युवा अवस्था तक, बेटे का अपने पिता के प्रति दृष्टिकोण बदलता है। उन्होंने विस्तार से बताया कि

"आज का विषय है 'पिता से कभी भी बहस मत करो।' 5 और 7 वर्ष की उम्र में हमें लगता है कि पापा सब कुछ जानते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम 10 साल के होते हैं, हमें उन पर शक होने लगता है कि शायद वे सब कुछ नहीं जानते। 14 वर्ष की उम्र में हमें लगता है कि पापा को कुछ भी नहीं पता। 16 में हमें पापा पागल लगने लगते हैं। 18 वर्ष की उम्र में हम सोचते हैं, 'पापा सही निर्णय नहीं ले सकते।'

उन्होंने आगे कहा कि 25 वर्ष में पापा की हर बात बकवास लगती है। 30 में पहली बार हमें एहसास होता है, 'शायद पापा कुछ बातें सही कहते थे, उनसे पूछना चाहिए।' 40 में हमें हैरानी होती है कि पापा ने जीवन में कितनी कठिनाइयों का सामना किया। 45 वर्ष में हमें यह समझ आता है कि पापा हमेशा सही थे, और 50 तक आते-आते, हम सोचते हैं कि काश पापा आज होते, ताकि उनसे कुछ सीख पाते।

अभिनेता ने निष्कर्ष निकाला, "पिता का अनुभव कभी भी गलत नहीं होता," इसलिए हमें उनसे बहस नहीं करनी चाहिए, बल्कि चुप रहना चाहिए या वहां से चले जाना चाहिए, और उनके सम्मान को कभी भी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए, क्योंकि पापा सब कुछ जानते हैं।"

वीडियो के अंत में उन्होंने लिखा, "पापा सब जानते हैं" से लेकर "पापा कुछ नहीं जानते... फिर पापा सब जानते थे... इन भावनाओं का एहसास करते-करते हमारी उम्र बीत जाती है। मैंने उम्र के हिसाब से पिता के प्रति हमारे दृष्टिकोण को समझाने की कोशिश की है। आप अपने अनुभव से बताएं कि मैं कितनी सच्चाई के करीब हूं? जय हो।

Point of View

बल्कि यह समाज के हर परिवार में देखने को मिलता है। इस प्रकार के विचार साझा करना हमें अपने संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर देता है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

अनुपम खेर ने पिता-पुत्र के रिश्ते पर क्या कहा?
अनुपम खेर ने बताया कि पिता-पुत्र का रिश्ता उम्र के हर पड़ाव पर बदलता है और हमें अपने पिताओं के अनुभवों का सम्मान करना चाहिए।
क्या हमें पिता से बहस नहीं करनी चाहिए?
अनुपम खेर के अनुसार, पिता का अनुभव हमेशा सही होता है, इसलिए हमें उनसे बहस नहीं करनी चाहिए।
किस उम्र में हमें अपने पिता के बारे में सोचने का नजरिया बदलता है?
5 से 7 साल की उम्र में हमें लगता है कि पापा सब कुछ जानते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारा नजरिया बदलता है।
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