क्या हंसी के दो सितारे अर्चना पूरन सिंह और चंकी पांडे ने एक ही दिन जन्म लेकर कॉमेडी से दर्शकों का दिल जीता?

सारांश
Key Takeaways
- अर्चना पूरन सिंह और चंकी पांडे दोनों ने कॉमेडी के क्षेत्र में अपनी एक खास पहचान बनाई है।
- दोनों सितारे एक ही दिन जन्मे हैं, जो एक दिलचस्प संयोग है।
- अर्चना ने टीवी में भी अपनी जगह बनाई और कॉमेडी क्वीन कहलाने लगीं।
- चंकी पांडे ने हाउसफुल श्रृंखला में वापसी की और लोकप्रियता हासिल की।
- इन दोनों की कहानी दर्शाती है कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद हंसी और काम को प्राथमिकता दी जा सकती है।
मुंबई, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के चमकदार आकाश में कुछ ऐसे चेहरे होते हैं जो अपनी अभिनय और हंसमुखता से दर्शकों के दिलों में खास स्थान बनाते हैं। ये सितारे अपने आगमन से ही माहौल को खुशनुमा बना देते हैं। ऐसे ही दो नाम हैं अर्चना पूरन सिंह और चंकी पांडे, जिन्हें लोग केवल अभिनेता नहीं, बल्कि हंसी के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में भी पहचानते हैं।
हालांकि, दोनों का करियर अलग-अलग रास्तों से शुरू हुआ, लेकिन एक समान चीज ने उन्हें एक जैसी पहचान दिलाई, वह है कॉमेडी।
अर्चना पूरन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1962 को देहरादून में हुआ। उनके पिता, पूरन सिंह, एक वकील थे और चाहते थे कि उनका बच्चा कानून में पढ़ाई करे, लेकिन अर्चना का दिल हमेशा कला की दिशा में था। उन्होंने अपनी पढ़ाई मसूरी और दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से की, लेकिन उनका सफर मुंबई की गलियों में जाकर फिल्मों की ओर मुड़ गया।
शुरुआत में उन्होंने कुछ विज्ञापनों में काम किया और बाद में छोटे-छोटे रोल मिलने लगे। 1987 में फिल्म 'जलवा' में नसीरुद्दीन शाह के साथ मुख्य भूमिका निभाकर उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इसके बाद 'अग्निपथ', 'राजा हिंदुस्तानी', 'कुछ कुछ होता है', 'मोहब्बतें', और 'कृष' जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदार निभाए।
दूसरी ओर, चंकी पांडे का जन्म भी 26 सितंबर 1962 को मुंबई में हुआ था। उनका असली नाम सुयश पांडे है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में वे चंकी के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने भी 1987 में फिल्म 'आग ही आग' से अपने करियर की शुरुआत की, जो उस समय की सफल फिल्मों में से एक थी। प्रारंभिक दौर में चंकी ने 'तेजाब', 'आंखें', 'खतरों के खिलाड़ी', 'पाप की दुनिया' जैसी फिल्मों में काम किया और काफी प्रसिद्धि हासिल की। वह अधिकतर डबल हीरो या सपोर्टिंग रोल्स में दिखाई दिए।
90 के दशक के मध्य में दोनों कलाकारों के करियर में कुछ गिरावट आई। उस समय शाहरुख, सलमान, और आमिर जैसे नए रोमांटिक हीरो और अक्षय, सुनील और अजय जैसे एक्शन हीरो बॉलीवुड पर छा गए थे। चंकी को गंभीर या लीड रोल मिलने बंद हो गए और अर्चना को भी सीमित रोल मिलने लगे। लेकिन यहीं से दोनों ने अपने करियर को एक नया मोड़ दिया, जो था कॉमेडी का रास्ता।
चंकी पांडे ने अपनी कॉमिक शैली से वापसी की। ख़ासकर 'हाउसफुल' फ्रेंचाइजी में उनका किरदार 'आखिरी पास्ता' इतना प्रसिद्ध हो गया कि बच्चे से लेकर बड़े तक उनकी कॉमिक टाइमिंग के दीवाने हो गए। यही अंदाज उनकी पहचान बन गया और उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी कॉमेडी रोल में जान डाल सकते हैं।
अर्चना पूरन सिंह ने भी टीवी की दुनिया में कदम रखा और वहां अपनी अलग पहचान बनाई। सबसे पहले उन्होंने 'श्रीमान श्रीमति', 'जुनून', 'वाह क्या सीन है' जैसे शो किए। फिर उन्होंने निर्देशन में भी हाथ आजमाया और धीरे-धीरे वह टीवी की कॉमेडी क्वीन बन गईं। 'कॉमेडी सर्कस' में बतौर जज उनकी हंसी और चुटीले कमेंट्स ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया। इसके बाद 'द कपिल शर्मा शो' में जब उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू की जगह ली, तो शुरुआत में आलोचना जरूर हुई, लेकिन उन्होंने जल्दी ही अपनी अलग पहचान बना ली। अब लोग उन्हें 'लाफ्टर क्वीन' के नाम से जानते हैं।