क्या असरानी और राजेश खन्ना की दोस्ती बॉलीवुड में एक मिसाल बनी?
सारांश
Key Takeaways
- दोस्ती का महत्व जीवन में बहुत बड़ा होता है।
- अभिनय में शिद्दत और मेहनत सफलता की कुंजी है।
- बॉलीवुड में सहयोग और संबंध महत्वपूर्ण हैं।
- असरानी की कॉमिक टाइमिंग उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाती है।
- राजेश खन्ना और असरानी की दोस्ती एक प्रेरणा है।
मुंबई, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड में कई कलाकारों ने अपनी कला और मेहनत से नाम कमाया है, लेकिन कुछ ऐसे कलाकार भी हैं जिनकी जिंदगी केवल फिल्मों तक सीमित नहीं रही। गोवर्धन असरानी उन्हीं में से एक हैं। उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग और अभिनय से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। वह जितनी शिद्दत से अभिनय करते थे, उतनी ही शिद्दत से दोस्ती भी निभाते थे।
राजेश खन्ना के साथ उनकी दोस्ती इसका सबसे बड़ा सबूत है। दोनों ने करीब 25 फिल्मों में साथ काम किया और ऐसा रिश्ता बनाया कि राजेश खन्ना उन्हें अपना भाई मानने लगे। एक बार जब राजेश बीमार पड़े, तब भी असरानी ने उनका ख्याल रखा।
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम गोवर्धन असरानी था। उनका परिवार सिंधी था और कपड़ों का व्यापार करता था। बचपन से ही असरानी को अभिनय का शौक था। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उन्होंने जयपुर के ऑल इंडिया रेडियो में वॉयस आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। उनकी आवाज़ और अंदाज़ ने लोगों का ध्यान खींचा और यही उनके करियर की शुरुआत थी।
1960 के दशक में असरानी मुंबई आए और हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होंने 'सत्यकाम', 'अनहोनी', 'मेरे अपने', 'रास्ते का पत्थर', 'पिया का घर', और 'गुड्डी' जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं, लेकिन लोकप्रियता को चार चांद तब लगे जब उन्होंने 'शोले' फिल्म में जेलर का रोल किया। यह किरदार आज भी लोगों के चेहरे पर हंसी लाता है। इस रोल की तैयारी के लिए असरानी ने हिटलर के कई वीडियो देखे और उनकी बॉडी लैंग्वेज को कॉपी किया।
असरानी का करियर केवल कॉमेडी तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई गंभीर और सहायक भूमिकाओं में भी अपना हुनर दिखाया। उन्होंने 'चला मुरारी हीरो बनने' और 'सलाम मेमसाब' जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया और खुद ही हीरो बने। उन्होंने अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, सुनील दत्त और ऋषि कपूर जैसे कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी स्क्रीन पर हिट रही।
राजेश खन्ना और असरानी के बीच की दोस्ती काफी गहरी थी। राजेश खन्ना जब बीमार हुए, तो असरानी ने उनका ख्याल रखा। उन्होंने राजेश के साथ 'बावर्ची', 'नमक हराम', 'अजनबी', 'प्रेम नगर', 'रोटी', 'आपकी कसम', 'अनुरोध', 'मकसद', 'पाप का अंत', 'मास्टरजी', और 'घर परिवार' जैसी हिट और यादगार फिल्मों में काम किया। राजेश उन्हें अपना भाई मानते थे।
असरानी ने अपने करियर में 50 साल से ज्यादा समय तक काम किया और 350 से अधिक फिल्मों में नजर आए। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले। उनकी कॉमिक टाइमिंग और चेहरे के भाव उन्हें सभी निर्देशकों का पसंदीदा कलाकार बनाते थे।
दिग्गज अभिनेता असरानी का निधन 20 अक्टूबर 2025 को हुआ।