क्या दारा सिंह भारतीय पहलवानी और मनोरंजन जगत के अद्वितीय रत्न थे?

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क्या दारा सिंह भारतीय पहलवानी और मनोरंजन जगत के अद्वितीय रत्न थे?

सारांश

दारा सिंह, भारतीय पहलवानी और मनोरंजन जगत के एक अनमोल रत्न थे। उनकी शारीरिक ताकत और कुश्ती में महारत ने उन्हें अजेय बना दिया। आइए, उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को जानें।

Key Takeaways

  • दारा सिंह भारतीय कुश्ती के प्रतीक थे।
  • उन्होंने 500 से अधिक कुश्ती मुकाबले लड़े।
  • रामायण में हनुमान का किरदार निभाकर घर-घर में पहचान बनाई।
  • राज्यसभा के पहले स्पोर्ट्सपर्सन बने।
  • बॉलीवुड में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के दारा सिंह, जिन्हें 'रुस्तम-ए-पंजाब' और 'रुस्तम-ए-हिंद' का सम्मान प्राप्त हुआ, भारतीय पहलवानी और मनोरंजन जगत के एक अनमोल रत्न थे। उनकी शारीरिक संरचना, शक्ति और कुश्ती में दक्षता ने उन्हें अपने समय का अजेय पहलवान बना दिया। दारा सिंह ने न सिर्फ भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहलवानी का लोहा मनवाया।

उन्होंने विश्व स्तर पर कई बड़े पहलवानों को हराकर भारत का नाम रोशन किया। दारा सिंह एक ऐसे व्यक्तित्व बने जिन्होंने पहलवानी के साथ-साथ अभिनय भी किया। उन्हें रामानंद सागर की रामायण में हनुमान के किरदार के लिए जाना जाता है, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। 12 जुलाई 2012 को इस महान शख्सियत ने दुनिया को अलविदा कह दिया। आइए उनकी पुण्यतिथि पर उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को जानते हैं।

दारा सिंह ऐसे पहलवान थे जिनकी तुलना गामा पहलवान से होती रही। उन्होंने लगभग 500 कुश्ती मुकाबले लड़े और कभी हार नहीं मानी। 1968 में उन्होंने अमेरिकी पहलवान लाऊ थेज को हराकर विश्व फ्रीस्टाइल चैंपियनशिप जीती, जिससे वे पहले भारतीय विश्व चैंपियन बने। गामा पहलवान ने अपने करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारा। दोनों की अजेयता और विदेशी पहलवानों को हराने की उपलब्धियां उन्हें एक समान बनाती हैं।

गामा पहलवान अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन उनका पहलवानी के प्रति प्रेम उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर करता था। गामा पहलवान 19वीं और 20वीं सदी के प्रारंभिक दशकों में सक्रिय थे, जब भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था। उनकी जीत ने भारतीयों में आत्मविश्वास जगाया। वहीं, दारा सिंह 20वीं सदी के मध्य में सक्रिय हुए और स्वतंत्र भारत में कुश्ती को लोकप्रिय बनाया।

दारा सिंह से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 200 किलो के ऑस्ट्रेलियाई पहलवान किंग कॉन्ग को रिंग से उठाकर बाहर फेंक दिया, जिसके बाद वे रातोंरात सुपरस्टार बन गए। 55 साल की उम्र में दारा सिंह ने कुश्ती में अपने आखिरी मुकाबले में जीत हासिल कर संन्यास लिया।

संन्यास के बाद उन्होंने बॉलीवुड की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने हिंदी सिनेमा में 1952 में फिल्म संगदिल से डेब्यू किया, जिसमें दिलीप कुमार और मधुबाला जैसे सितारे थे। दारा सिंह ने अभिनेत्री मुमताज के साथ 16 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 10 सुपरहिट रहीं। उनके साथ प्रेम की अफवाहें भी थीं। उनकी आखिरी फिल्म जब वी मेट (2007) थी।

इसके अलावा, दारा सिंह ने रामायण में हनुमान का किरदार निभाकर घर-घर में पहचान बनाई। इस भूमिका के लिए उन्होंने नॉन-वेज खाना छोड़ दिया था।

दारा सिंह ने राज्यसभा में भी अपनी पहचान बनाई। वे पहले स्पोर्ट्सपर्सन थे, जिन्हें 2003-2009 तक राज्यसभा सदस्य के लिए नामित किया गया। वे जाट महासभा के अध्यक्ष भी रहे।

दारा सिंह को उनकी कुश्ती, अभिनय और देशभक्ति के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Point of View

NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

दारा सिंह ने कितने कुश्ती मुकाबले लड़े?
दारा सिंह ने लगभग 500 कुश्ती मुकाबले लड़े और कभी हार नहीं मानी।
दारा सिंह की प्रसिद्ध फिल्म कौन सी है?
दारा सिंह की प्रसिद्ध फिल्म 'जब वी मेट' है, जिसमें उन्होंने करीना कपूर के दादाजी का किरदार निभाया।
दारा सिंह ने राज्यसभा में कब कार्य किया?
दारा सिंह 2003-2009 तक राज्यसभा सदस्य के लिए नामित किए गए थे।
दारा सिंह का हनुमान का किरदार किस धारावाहिक में था?
दारा सिंह ने रामानंद सागर के धारावाहिक 'रामायण' में हनुमान का किरदार निभाया।
कौन से पहलवान को दारा सिंह ने हराया था?
दारा सिंह ने 1968 में अमेरिकी पहलवान लाऊ थेज को हराकर विश्व फ्रीस्टाइल चैंपियनशिप जीती।