क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार?

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क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' फिल्म के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से मना कर दिया है। याचिका में आरोप है कि फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिससे साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ सकता है। जानिए इस मामले की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार किया।
  • फिल्म पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप है।
  • याचिका शकील अब्बास ने दायर की थी।
  • याचिका में ट्रेलर के गलत चित्रण का उल्लेख किया गया।
  • याचिकाकर्ता ने सर्टिफिकेशन की पुनः जांच की मांग की।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर को रिलीज होने वाली फिल्म 'द ताज स्टोरी' से संबंधित जनहित याचिका (पीआईएल) पर तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिससे देश में साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ने का खतरा है।

याचिका को दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता शकील अब्बास ने दायर किया था। इसमें फिल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता परेश रावल को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को भी शामिल किया था। उनका दावा है कि फिल्म ताजमहल और उससे जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी को गलत तरीके से पेश कर रही है, जिससे जनता के बीच भ्रम फैल सकता है और धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।

याचिका में यह भी बताया गया कि फिल्म की टीम की पिछले कार्यों में राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया गया है। उदाहरण के लिए, याचिकाकर्ता ने 'द कश्मीर फाइल्स' और 'द बंगाल फाइल्स' का उल्लेख किया, जो पहले भी विवादास्पद मानी गई थीं।

शकील अब्बास का तर्क था कि 'द ताज स्टोरी' भी इसी उद्देश्य से बनाई जा रही है, जिसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है।

याचिकाकर्ता ने फिल्म के ट्रेलर का संदर्भ देते हुए कहा कि ट्रेलर में कई ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण किया गया है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि सीबीएफसी ने ट्रेलर और फिल्म की सामग्री की जिम्मेदारी से जांच नहीं की, जिससे जनता में भ्रम फैल सकता है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से फिल्म की सर्टिफिकेशन को पुनः जांचने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म में स्पष्ट डिस्क्लेमर जोड़ा जाए और यदि आवश्यक हो तो कुछ आपत्तिजनक दृश्य हटाए जाएं।

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

Point of View

और ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ से सामाजिक सौहार्द को खतरा हो सकता है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली हाईकोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' के खिलाफ जनहित याचिका पर क्या निर्णय लिया?
दिल्ली हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
याचिका में फिल्म के खिलाफ क्या आरोप लगाए गए हैं?
याचिका में कहा गया है कि फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
याचिका किसने दायर की थी?
याचिका को दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता शकील अब्बास ने दायर किया था।
क्या याचिका में फिल्म के ट्रेलर का भी उल्लेख किया गया है?
हाँ, याचिका में ट्रेलर में ऐतिहासिक तथ्यों के गलत चित्रण का उल्लेख किया गया है।
क्या याचिकाकर्ता ने अदालत से किसी विशेष मांग की थी?
जी हाँ, याचिकाकर्ता ने फिल्म की सर्टिफिकेशन को पुनः जांचने की मांग की थी।