क्या 'पिस्टल क्वीन' राही सरनोबत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का तिरंगा लहराया?

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क्या 'पिस्टल क्वीन' राही सरनोबत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का तिरंगा लहराया?

सारांश

राही सरनोबत, जिन्हें 'पिस्टल क्वीन' कहा जाता है, ने भारतीय शूटिंग में नई ऊंचाइयों को छुआ है। उनके सफर की कहानी, जिसमें उन्होंने कई गोल्ड मेडल जीते हैं, युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जानिए उनके संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • राही सरनोबत को 'पिस्टल क्वीन' कहा जाता है।
  • उन्होंने 25 मीटर पिस्टल इवेंट में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
  • आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय पिस्टल निशानेबाज।
  • कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।
  • उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की प्रतिभाशाली निशानेबाज राही सरनोबत को ‘पिस्टल क्वीन’ के नाम से जाना जाता है। वे 25 मीटर पिस्टल इवेंट के लिए ओलंपिक खेलों में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं और आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय पिस्टल निशानेबाज भी हैं।

30 अक्टूबर 1990 को कोल्हापुर में जन्मी राही का निशाना बचपन से ही बेहद सटीक था। उनके साथियों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।

जब राही पहली बार शूटिंग रेंज में गईं, तो उन्हें पिस्टल और राइफल में अंतर तक नहीं पता था। उन्होंने जो भी हाथ में आया, उसे उठाया और अभ्यास करने लगीं।

लगभग 6 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद, राही ने नेशनल शूटिंग कैंप में दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीते। ये मेडल पिस्टल इवेंट में थे। इसके बाद, उन्होंने जर्मनी में आयोजित जूनियर चैंपियनशिप का सुपर कप भी जीता।

राही ने कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स के 25 मीटर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। उनकी शांत स्वभाव और सटीक निशानेबाजी ने उन्हें भारतीय शूटिंग की शीर्ष खिलाड़ियों में स्थान दिलाया।

महज 21 साल की उम्र में, राही ने 2012 लंदन ओलंपिक में हिस्सा लिया और कुल 579 अंकों के साथ 19वां स्थान हासिल किया, लेकिन वे फाइनल में प्रवेश करने से केवल 4 अंकों से चूक गईं।

राही को ओलंपिक पदक ना जीत पाने का अफसोस था। उन्होंने भारत लौटकर अपनी कमियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया और 2013 में आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में कियॉन्गे किम को हराकर पिस्टल शूटिंग में वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय शूटर बनीं।

2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में राही ने एक और गोल्ड मेडल जीता और इसी वर्ष एशियन गेम्स में पहला ब्रॉन्ज मेडल भी प्राप्त किया।

एक दुर्घटना के कारण राही की कोहनी में चोट आई, जिससे उबरने में उन्हें समय लगा। 2017 में वह शूटिंग रेंज में वापस लौटीं, लेकिन प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। फिर उन्होंने मुंखबयार दोर्जसुरेन के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग जारी रखी और 2018 में एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बनीं। इसके बाद, उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में भी भाग लिया, लेकिन मेडल नहीं जीत सकीं।

निशानेबाजी में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राही सरनोबत को ‘अर्जुन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। आज राही युवा निशानेबाजों के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं।

Point of View

बल्कि यह भारतीय खेलों के लिए भी गर्व का विषय है। उनके प्रयास और उपलब्धियां हमें यह सिखाती हैं कि कठिनाईयों का सामना करके भी सफलता हासिल की जा सकती है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

राही सरनोबत ने कब और कहाँ जन्म लिया?
राही सरनोबत का जन्म 30 अक्टूबर 1990 को कोल्हापुर में हुआ था।
राही सरनोबत को कौन सा पुरस्कार मिला है?
उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।
राही ने किस खेल में गोल्ड मेडल जीता?
उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में 25 मीटर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता।
रही का ओलंपिक में प्रदर्शन कैसा रहा?
राही ने 2012 लंदन ओलंपिक में 19वां स्थान प्राप्त किया।
किस कोच के मार्गदर्शन में राही ने ट्रेनिंग की?
राही ने मुंखबयार दोर्जसुरेन के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग की।