क्या सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली?

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क्या सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की नजरबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई टाल दी है। मामला राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) से जुड़ा है, जिससे वांगचुक की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानिए इस महत्वपूर्ण मामले में आगे क्या होगा।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने सोनम वांगचुक की नजरबंदी पर सुनवाई को टाला।
  • अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
  • यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम से संबंधित है।
  • वांगचुक की पत्नी द्वारा याचिका दायर की गई थी।
  • विरोध प्रदर्शन और नागरिक अधिकार समूहों की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत नजरबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई टाल दी। अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

इस मामले में वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो द्वारा दायर याचिका में उनकी नजरबंदी की वैधता और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।

सोनम वांगचुक की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि हमें हलफनामे की कॉपी बुधवार को प्राप्त हुई है। हालांकि, हम नई याचिका पर सुनवाई करेंगे।

गीतांजलि अंग्मो के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने मंगलवार शाम को नई अर्जी हलफनामे के साथ दाखिल की है। बेंच ने कहा कि हम संशोधित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हैं।

याचिका के साथ अतिरिक्त सबूत प्रदान करने के लिए एक हफ्ता समय दिया गया है। इसके बाद सरकार को 10 दिनों के भीतर जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

पहली सुनवाई में सिब्बल ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने वांगचुक को नजरबंदी के आधार बताए हैं, जिससे मूल याचिका में संशोधन करना आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा, "मैं याचिका में संशोधन करूंगा ताकि मामला यहाँ जारी रह सके।" अदालत ने इसके बाद मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में मूल रूप से यह तर्क किया गया था कि अधिकारियों ने एनएसए की धारा 8 के तहत हिरासत के आधार प्रस्तुत करने में विफलता दिखाई है, जिसके अनुसार बंदियों को एक निश्चित समय के भीतर उनकी हिरासत के कारणों के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है।

हालांकि, लेह प्रशासन ने अपने हलफनामे में दावा किया कि निर्धारित अवधि के भीतर बंदी को कारणों से विधिवत अवगत करा दिया गया था।

सुनवाई का ध्यान एनएसए लागू करने के प्रशासनिक औचित्य और वांगचुक के प्रतिनिधित्व पर केंद्रित था, जिसमें इसे चुनौती दी गई थी।

सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक अधिकार समूहों ने इस पर आलोचना की। उन्होंने वांगचुक की हिरासत को मनमाना और अनुचित बताया।

Point of View

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिक अधिकारों की रक्षा की जाए। सोनम वांगचुक की नजरबंदी पर उठ रहे सवाल गंभीर हैं और हमें इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। यह न केवल एक व्यक्ति की कहानी है, बल्कि हमारे समाज के लिए न्याय और मानवाधिकारों का सवाल है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की नजरबंदी का मामला क्यों है?
सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की नजरबंदी का मामला एनएसए के तहत उनकी हिरासत की वैधता को चुनौती देने के लिए है।
अगली सुनवाई कब होगी?
अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
क्या वांगचुक की नजरबंदी के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन हुए हैं?
हाँ, उनकी हिरासत के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं।