क्या गरीब तबका जानवरों के प्रति सबसे ज्यादा प्यार करता है? जया भट्टाचार्य ने साझा की जमीनी सच्चाई

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क्या गरीब तबका जानवरों के प्रति सबसे ज्यादा प्यार करता है? जया भट्टाचार्य ने साझा की जमीनी सच्चाई

सारांश

क्या जानवरों के प्रति गरीब तबका सबसे अधिक संवेदनशील है? जया भट्टाचार्य ने अपनी बातों के जरिए इस सामाजिक सच्चाई को उजागर किया है। जानिए कैसे एक डॉगी की कहानी ने समाज के एक महत्वपूर्ण पहलू को सामने रखा।

Key Takeaways

  • गरीब तबका जानवरों के प्रति अत्यधिक दयालु होता है।
  • जानवरों के अधिकारों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • जया भट्टाचार्य ने अपने डॉगी वीजे के माध्यम से एक प्रेरणादायक कहानी साझा की।
  • न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
  • जानवरों की मदद करना समाज का एक अहम हिस्सा होना चाहिए।

मुंबई, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। टेलीविजन और सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्री जया भट्टाचार्य अपनी अदाकारी के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय रहती हैं। विशेष रूप से जानवरों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए जया हमेशा मुखर रही हैं। हाल ही में, उन्होंने वीजे नामक एक डॉगी का जन्मदिन मनाया।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में जया भट्टाचार्य ने बताया कि एक साल पहले नायगांव क्षेत्र में वीजे के साथ एक क्रूर अपराध हुआ था, जिसने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

जया ने कहा, "जब वीजे हमारे पास आया, तब उसकी स्थिति बहुत दयनीय थी। उसकी नर्व्स पूरी तरह से क्षतिग्रस्त थीं और उसके तीन पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। उसके सिर का झुकाव एक तरफ था। निरंतर देखभाल और उपचार से उसने कुछ सुधार किया, लेकिन उसकी आंखों की रोशनी अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है।"

उन्होंने आगे कहा, "वीजे को बड़ी चीजें भी स्पष्ट नहीं दिखतीं। डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि उसकी स्थिति को देखते हुए उसे सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता है, इसलिए उसका नाम 'वीजे' रखा गया।"

जया ने कहा कि वीजे केवल एक डॉगी नहीं है, बल्कि उनके परिवार का एक अहम हिस्सा है। जया भट्टाचार्य ने इस बातचीत में समाज के एक ऐसे पहलू को उजागर किया, जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है।

उन्होंने कहा, "सड़क पर कपड़े उठाने वाले, झाड़ू लगाने वाले, कचरा साफ करने वाले, ऑटो चलाने वाले और घरेलू काम करने वाले लोग अक्सर सड़क के डॉगी के इलाज के लिए हमारे पास आते हैं। यह जानकर आश्चर्य होता है कि ये लोग खुद सीमित साधनों में जीवन यापन करते हैं, फिर भी वे जानवरों की चिकित्सा के लिए पैसे देने को तैयार रहते हैं। वास्तव में, समाज का यह तबका जानवरों के प्रति सबसे संवेदनशील और दयालु होता है।"

इस संदर्भ में, जया भट्टाचार्य ने न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिस आरोपी पर इस क्रूर अपराध का आरोप था उसे केवल 50 रुपए का जुर्माना देकर जमानत पर रिहा कर दिया गया। जया ने कहा, "इतनी हल्की सजा से न तो अपराध रुकते हैं और न ही अपराधियों को डर लगता है। इससे समाज में यह गलत संदेश जाता है कि जानवरों के साथ अपराध करना कोई बड़ी बात नहीं है।"

उन्होंने कहा, "हालांकि अब इस मामले में केस दर्ज हो चुका है, लेकिन न्याय की प्रक्रिया अत्यंत धीमी है। पूरे एक साल में केवल दो सुनवाई हो पाई हैं। दूसरी सुनवाई के दिन जज की छुट्टी के कारण तारीख आगे बढ़ गई। जब इंसाफ में इतनी देरी होती है, तो पीड़ितों की आवाज कमजोर पड़ जाती है और अपराधियों का हौसला बढ़ता है।"

जया ने कहा, "यदि किसी के अंदर सच्ची इच्छा हो, तो समय अपने आप निकल आता है। शूटिंग के बाद या फुर्सत के समय में मैं घायल जानवरों की मदद करती हूं, लोगों को जागरूक करती हूं और आवश्यकता पड़ने पर आवाज उठाती हूं। यह मेरे लिए कोई अलग काम नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।"

Point of View

बल्कि जानवरों के प्रति उनकी दया और संवेदनशीलता भी एक नई सोच को उजागर करती है। यह एक ऐसा पहलू है, जो हमें उनकी दयालुता और करुणा को समझने में मदद करता है।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

जया भट्टाचार्य ने किस जानवर का जन्मदिन मनाया?
जया भट्टाचार्य ने वीजे नामक एक डॉगी का जन्मदिन मनाया।
वीजे की स्थिति कैसी थी जब वह जया के पास आया?
जब वीजे जया के पास आया, तब उसकी हालत बहुत खराब थी और उसके कई पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
जया ने समाज के किस पहलू की बात की?
जया ने गरीब तबका की जानवरों के प्रति दया और संवेदनशीलता को उजागर किया।
जया ने न्याय व्यवस्था पर क्या सवाल उठाए?
जया ने कहा कि आरोपी को केवल 50 रुपए का जुर्माना देकर रिहा कर दिया गया था, जो न्याय का मजाक है।
वीजे का नाम किस आधार पर रखा गया?
वीजे का नाम उसकी मां और मासी के नाम की ऊर्जा देने के लिए रखा गया।
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