क्या गुरु दत्त की विरासत को रूपाली गांगुली ने किया नमन?

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क्या गुरु दत्त की विरासत को रूपाली गांगुली ने किया नमन?

सारांश

गुरु दत्त की 100वीं जयंती पर, टेलीविजन की जानी-मानी अभिनेत्री रूपाली गांगुली ने उनकी कला और योगदान को याद किया। इस लेख में जानें कि कैसे गुरु दत्त ने भारतीय सिनेमा को अनमोल धरोहर दी और क्यों उनकी फिल्में आज भी जीवंत हैं।

Key Takeaways

  • गुरु दत्त भारतीय सिनेमा के महान निर्देशक और अभिनेता थे।
  • उनकी फिल्में दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती हैं।
  • गुरु दत्त की 100वीं जयंती एक विशेष अवसर है।
  • उनकी कला आज भी जीवित और प्रासंगिक है।
  • वे एक कवि की तरह सिनेमा के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त करते थे।

मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सिनेमा के अद्वितीय सितारे गुरु दत्त की सदी का जश्न मनाने का अवसर आया है। इस मौके पर प्रसिद्ध टेलीविजन अभिनेत्री रूपाली गांगुली ने उनके योगदान को याद करते हुए एक हृदयस्पर्शी संदेश एक्स पर साझा किया।

अभिनेत्री ने गुरु दत्त की कला और उनके योगदान को सराहा और उनकी फिल्मों की प्रशंसा की।

रूपाली गांगुली ने गुरु दत्त की 100वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "गुरु दत्त साहब को उनकी 100वीं जयंती पर नमन। उनके जन्म को 100 साल हो गए हैं, लेकिन उनकी कला आज भी पहले से कहीं अधिक जीवंत महसूस होती है। वे केवल एक निर्देशक ही नहीं, बल्कि एक कवि थे, जिन्होंने सिनेमा के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति की।"

उन्होंने आगे कहा, "प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम जैसी उनकी फिल्में केवल देखी नहीं जातीं, बल्कि उन्हें महसूस भी किया जाता है। उनकी कहानियों में लालसा, प्रेम और क्षति की गहरी भावना समाहित थी, जिसने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी।"

रूपाली ने अंत में कहा, "आज भी उनका कार्य हमारे अंदर के कलाकार से संवाद करता है। वे जल्दी चले गए, लेकिन उनका जादू सदैव जीवित रहेगा।"

गुरु दत्त ने अपने अभिनय की शुरुआत 1944 में 'चांद' फिल्म में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाकर की थी। उन्होंने कुल 8 हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें बाजी (1951), जाल (1952), बाज (1953), आर-पार (1954), मिस्टर एंड मिसेज 55 (1955), सीआईडी (1956), प्यासा (1957) और कागज के फूल (1959) शामिल हैं। उनकी फिल्म प्यासा को टाइम मैगजीन की 20वीं सदी की 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में स्थान मिला, जबकि कागज के फूल भारत की पहली सिनेमास्कोप तकनीक से बनी फिल्म थी। वे एक एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, कोरियोग्राफर और राइटर के रूप में भी जिम्मेदारियाँ निभाते थे।

उनकी अंतिम फिल्म 1964 में ऋषिकेश मुखर्जी की 'सांझ और सवेरा' थी, जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के साथ अभिनय किया। 10 अक्टूबर 1964 को महज 39 सालदुर्घटना और कुछ आत्महत्या मानते हैं।

Point of View

बल्कि उन्होंने सिनेमा की भाषा को एक नई दिशा दी। इस जयंती पर, हमें उनकी विरासत का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

गुरु दत्त का जन्म कब हुआ?
गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को हुआ था।
गुरु दत्त की कौन-कौन सी प्रसिद्ध फिल्में हैं?
उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 'प्यासा', 'कागज के फूल', 'साहिब बीबी और गुलाम' शामिल हैं।
गुरु दत्त का निधन कब हुआ?
गुरु दत्त का निधन 10 अक्टूबर 1964 को हुआ।
गुरु दत्त ने कितनी फिल्मों का निर्देशन किया?
गुरु दत्त ने कुल 8 हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया।
गुरु दत्त की विरासत क्या है?
गुरु दत्त की विरासत में उनकी अनूठी फिल्में और सिनेमा के प्रति उनका दृष्टिकोण शामिल है।