क्या जेनसोल घोटाला प्रमोटर्स की मिसगवर्नेंस का परिणाम है?

सारांश
Key Takeaways
- जेनसोल घोटाला प्रमोटर्स की गलत प्रबंधन का नतीजा है।
- सेक्टर में कोई समस्या नहीं है और यह तेजी से बढ़ रहा है।
- सरकार ने रिन्यूएबल एनर्जी का इकोसिस्टम तैयार किया है।
- आईआरईडीए ने 1,63,000 करोड़ रुपये के लोन फाइनेंस किए हैं।
- 74 प्रतिशत लोन बुक में निजी कंपनियों का हिस्सा है।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जेनसोल घोटाले के संदर्भ में इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार दास ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यह प्रमोटर्स की मिसगवर्नेंस का परिणाम है और सेक्टर में कोई समस्या नहीं है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए प्रदीप कुमार दास ने कहा, "जेनसोल एक विशिष्ट मामला है। जहां लेंडर साइड और सेक्टर में कोई समस्या नहीं थी, यह केवल कंपनी का विशेष मुद्दा था। अब अंतरिम रेसोलुशन प्रोफेशनल (आईआरपी) की नियुक्ति हो चुकी है और वह कंपनी की सभी कारों को कस्टडी में लेकर चालन का कार्य करेगा। इससे कंपनी का कैश फ्लो फिर से शुरू हो जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "जेनसोल के मामले में प्रमोटर्स की ओर से मिसगवर्नेंस की गई है। सेक्टर में कोई समस्या नहीं है। इस कारण हम ज्यादा चिंतित नहीं हैं।"
रिन्यूएबल एनर्जी पर चर्चा करते हुए दास ने कहा कि पिछले 10-11 वर्षों में सरकार ने एक बेहतरीन इकोसिस्टम बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप देश में रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता तेजी से बढ़ रही है। पहले तिमाही में 14 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता देश में स्थापित की गई है। इस तेज वृद्धि के कारण हम कुल ऊर्जा क्षमता का 50 प्रतिशत रिन्यूएबल से जनरेट करने के अपने लक्ष्य को चार-पांच साल पहले ही प्राप्त कर चुके हैं।
सरकार भी देश में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 50 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी की ट्रेडर जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले वर्ष लगभग 30 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित हुई, जो दर्शाता है कि देश का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
दास ने आगे कहा कि यदि देश में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता इसी गति से बढ़ती रहती है, तो आईआरईडीए को भी इसका लाभ मिलेगा और लोन बुक में वृद्धि होगी।
दास ने कहा कि कंपनी ने अब तक 1,63,000 करोड़ रुपये के लोन फाइनेंस किए हैं और कंपनी की लोन बुक में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी कंपनियों की है।