क्या केनरा बैंक धोखाधड़ी मामले में ईडी ने स्पेशल कोर्ट में अभियोजन शिकायत दायर की?

सारांश
Key Takeaways
- केनरा बैंक धोखाधड़ी मामले में ईडी की कार्रवाई।
- धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत शिकायत।
- जाली दस्तावेजों पर लोन का आरोप।
- 4.81 करोड़ रुपए की संपत्तियों की कुर्की।
- सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास।
श्रीनगर, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केनरा बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के श्रीनगर जोनल ऑफिस ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत स्पेशल कोर्ट में अभियोजन शिकायत (पीसी) पेश की। अदालत ने अभियोजन पक्ष की शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लिया है।
ईडी ने केनरा बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक एमएन डोले, इरफान मंजूर दर्जी, मेसर्स एसएमसी टूर एंड ट्रैवल्स नई दिल्ली के शाहनवाज शाह, रफल वर्ल्ड श्रीनगर के मोहम्मद परवेज मुगल, मेसर्स रफरफ टूर एंड ट्रैवल्स बडगाम के मोहम्मद असरफ देव, मेसर्स सैयद टूर एंड ट्रैवल्स श्रीनगर के सैयद कौसर नियाजी, मेसर्स रईस टूर एंड ट्रैवल्स के रईस मंजूर दर्जी, मेसर्स ट्रैवल किंग के मुदासिर नजीर वानी, मेसर्स जेके मक्का ज्वैलर्स राजौरी के इरफान राशिद खान, मेसर्स निखा ऑर्नामेंट्स श्रीनगर के इश्फाक अहमद जरगर और मेसर्स जेके गोल्ड के खलील अहमद मुगल के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है।
ईडी ने मैसूमा पुलिस स्टेशन, श्रीनगर द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। इन आरोपियों पर केनरा बैंक, बादशाह चौक शाखा, श्रीनगर को 5.59 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप है।
जांच में यह सामने आया है कि 2014 के दौरान, आरोपियों ने केनरा बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक एमएन डोले की मिलीभगत से 26 अन्य उधारकर्ताओं के साथ गैर-मौजूद स्वामित्व वाली संस्थाओं के नाम पर कुल 30 करोड़ रुपए के नकद लोन लिए। यह सब जाली और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया था, जिन्हें बाद में आरोपियों ने विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से लोन की राशि को निकाल लिया।
एमएन डोले द्वारा स्वीकृत सभी लोन बैंक नीति के घोर उल्लंघन पर थे, जो बाद में 2016 से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बन गए, जिससे जनता के पैसे को भारी नुकसान हुआ, जिसे केनरा बैंक, बादशाह चौक शाखा, श्रीनगर (जेएंडके) द्वारा संभाला गया था।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इन ऋणों से प्राप्त आय के महत्वपूर्ण हिस्से को एमएन डोले, शाहनवाज शाह, इरफान मंजूर दर्जी और अन्य आरोपियों ने अपने फायदे के लिए साझा किया था। इस मामले में इश्फाक अहमद जरगर, असरफ देव, सैयद कौसर नियाजी और खलील अहमद मुगल से संबंधित 4.81 करोड़ रुपए की संपत्तियां कुर्क की गईं।