क्या पंजाब के वित्त मंत्री ने नवजोत कौर सिद्धू पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस और भाजपा को चुनौती दी?
सारांश
Key Takeaways
- हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेस और भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सवाल उठाए।
- नवजोत कौर सिद्धू और सुनील जाखड़ के आरोपों का तुरंत जवाब देने की चुनौती।
- राजनीतिक भ्रष्टाचार का मुद्दा पंजाब के लिए महत्वपूर्ण।
चंडीगढ़, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सोमवार को कांग्रेस और भाजपा नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए उन्हें यह चुनौती दी कि वे नवजोत कौर सिद्धू और सुनील जाखड़ द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का तुरंत जवाब दें। चीमा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं कांग्रेस और भाजपा हाईकमान को चुनौती देता हूं कि आप चुप क्यों हैं? क्या आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आप इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं? मैं इन्हें 24 घंटे के भीतर जवाब देने की चुनौती देता हूं।"
मंत्री चीमा ने उन नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिन्होंने पाला बदल लिया है, लेकिन जिनके पिछले कार्य और बयान गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि नवजोत कौर सिद्धू लंबे समय तक भाजपा में रहीं और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हुईं। "कांग्रेस में मुख्यमंत्री का पद 500 करोड़ रुपए में बिकता है।" इस पार्टी में पैसे देकर एमएलए का टिकट मिलता है और पैसे देकर ही मंत्री बनाए जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी में कितना भ्रष्टाचार है। "पिछले 20 साल में दो हजार करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार कांग्रेस और भाजपा को दिया गया है।" इसीलिए पंजाब की जनता ने आम आदमी पार्टी (आप) को चुना है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि जाखड़ जब कांग्रेस में थे, तब मंत्री पद और विधानसभा सीटों की बिक्री होते देख चुप क्यों रहे? और भाजपा में शामिल होने के बाद ही क्यों बोले? उन्होंने चन्नी के रिश्तेदार के मामले की ओर भी ध्यान दिलाया, जिनसे लगभग 10 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे, जो न्यायालय में विचाराधीन है। वित्त मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1997 से 2022 तक पंजाब पर शासन करने वाली पार्टियों के नेताओं का चरित्र अब उनके अपने सदस्यों द्वारा ही उजागर हो रहा है।
वित्त मंत्री ने बताया कि रेत, शराब और परिवहन माफिया का निर्माण, अनुसूचित जातियों को ठगने वाला छात्रवृत्ति घोटाला, और नशा मुक्ति केंद्रों में बड़े पैमाने पर घोटाले, ये सभी कांग्रेस पार्टी के भीतर बनाई गई 'लूट की प्रणालीगत संरचना' का परिणाम हैं, जिसके कारण राज्य के किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, दलित समुदाय और सरकारी कर्मचारियों का लगातार शोषण हुआ है।