क्या उत्तर प्रदेश की रामसर साइट्स सर्दियों में प्रवासी पक्षियों से महक गई हैं?

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क्या उत्तर प्रदेश की रामसर साइट्स सर्दियों में प्रवासी पक्षियों से महक गई हैं?

सारांश

उत्तर प्रदेश की रामसर साइट्स सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के आगमन से गूंज उठी हैं। पर्यटक सुविधाओं के विस्तार से यह स्थल विश्व स्तर पर ईको-टूरिज्म का एक नया केंद्र बन रहे हैं। जानें कैसे ये अद्वितीय स्थल जैव-विविधता का संरक्षण कर रहे हैं और पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं!

Key Takeaways

  • उत्तर प्रदेश की रामसर साइट्स सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • वेटलैंड में सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
  • पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री द्वारा विकास कार्य किए जा रहे हैं।
  • आगरा और हैदरपुर में प्रमुख परियोजनाएं पूरी की गई हैं।
  • उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म का एक प्रमुख केंद्र बनने जा रहा है।

लखनऊ, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर एक बार फिर सर्दियों के मौसम में जीवंत हो गई है। दिसंबर के आगमन के साथ ही प्रदेश की 10 अंतरराष्ट्रीय महत्व वाली रामसर साइट्स प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से भर गई हैं। हर साल, हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आने वाले इन अद्वितीय परिंदों के स्वागत के लिए प्रदेश के वेटलैंड पूरी तरह से तैयार हैं। उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड इन स्थलों पर पर्यटक सुविधाओं का तेजी से विस्तार कर रहा है, जिससे राज्य की जैव-विविधता और ईको टूरिज्म को नई दिशा मिल रही है।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि बोर्ड प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और पर्यटकों के लिए सुरक्षित और समृद्ध अनुभव सुनिश्चित करने के लिए लगातार विकास कार्य कर रहा है। आगरा और हैदरपुर में दो प्रमुख परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं। आगरा स्थित सूर सरोवर बर्ड सैंक्चुअरी में 167.85 लाख रुपए की लागत से पार्किंग, पाथवे, नेचर ट्रेल, वॉच टावर, साइनजेज, शौचालय और आरओ कूलर सहित कई सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इससे यह स्थल बर्ड वॉचर्स के लिए और आकर्षक बन गया है।

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार मुजफ्फरनगर की हैदरपुर वेटलैंड में 165.71 लाख रुपए से नेचर ट्रेल, नेचर कैंप, रिसेप्शन, कैंटीन, गोल हट, वॉच टावर और पर्यटक सुविधाओं का व्यापक विकास किया गया है, जिससे यहां आने वालों को बेहतरीन अनुभव मिल रहा है। उन्नाव की नवाबगंज बर्ड सैंक्चुअरी में अत्याधुनिक एआर–वीआर डोम का निर्माण तेजी से जारी है। 280.44 लाख रुपए की परियोजना के तहत तैयार किया जा रहा यह डोम आगंतुकों को वेटलैंड की जैव-विविधता और प्रवासी पक्षियों की दुनिया का इमर्सिव अनुभव प्रदान करेगा।

उत्तर प्रदेश में कुल 10 रामसर साइट्स नवाबगंज (उन्नाव), पार्वती आर्गा (गोंडा), समान (मैनपुरी), समसपुर (रायबरेली), सांडी (हरदोई), सरसई नावर (इटावा), सूर सरोवर (आगरा), ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट–नरौरा), बखिरा (संत कबीर नगर) और हैदरपुर (मुजफ्फरनगर)—प्रवासी पक्षियों के अद्वितीय बसेरे के कारण देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। देश में सबसे अधिक रामसर साइट्स तमिलनाडु में हैं जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां की आद्रभूमियां जैव-विविधता संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दुर्लभ प्रजातियों के सुरक्षित संवर्धन में अहम भूमिका निभाती हैं।

मंत्री ने कहा कि प्रदेश अपनी इन प्राकृतिक संपदाओं के बल पर वैश्विक ईको-टूरिज्म मानचित्र पर उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। आधुनिक सुविधाओं के विस्तार और संरक्षण के प्रयासों से पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ने का अनूठा अवसर मिल रहा है। लगातार हो रहे विकास ने यूपी की प्राकृतिक धरोहर को नई पहचान दिलाई है और इसे एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ईको-टूरिज्म गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।

-- राष्ट्र प्रेस

विकेटी/एएसएच

Point of View

बल्कि यह पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करती हैं। इन स्थलों की सुरक्षा और विकास से न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश की रामसर साइट्स क्या हैं?
उत्तर प्रदेश में 10 रामसर साइट्स हैं, जो जैव-विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं और प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल हैं।
प्रवासी पक्षियों का स्वागत कैसे किया जा रहा है?
प्रवासी पक्षियों के स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश में वेटलैंड की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म में कैसे योगदान दे रहा है?
उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड पर्यटक सुविधाओं का विस्तार कर रहा है, जिससे पर्यटन को नई दिशा मिल रही है।
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