क्या पिता ने राजी नहीं किया, मां ने मनाया? 'ड्रीम गर्ल' की शुरुआत और 'द ग्रेट शो मैन' की प्रेरणा!

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क्या पिता ने राजी नहीं किया, मां ने मनाया? 'ड्रीम गर्ल' की शुरुआत और 'द ग्रेट शो मैन' की प्रेरणा!

सारांश

हेमा मालिनी के सफर के बारे में जानें, जो अपने संघर्ष और सपनों के लिए जानी जाती हैं। जानें कैसे एक मां ने अपनी बेटी को सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया, जबकि एक पिता ने असहमति जताई।

Key Takeaways

  • हेमा मालिनी का संघर्ष और सफलता प्रेरणादायक है।
  • मां का समर्थन हर नारी के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पिता का विरोध भी कभी-कभी सफलता की ओर ले जा सकता है।
  • एक्ट्रेस के तौर पर उनकी पहचान और योगदान अद्वितीय है।
  • हर महिला को अपने सपनों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सपनों के सौदागर से हेमा मालिनी ने हिंदी फिल्मों में कदम रखा। एक तमिल ब्राह्मण परिवार में पली-बढ़ी, भरतनाट्यम में माहिर और सरकारी कर्मचारी की 19 साल की बेटी का असली से फिल्मी सफर आसान नहीं रहा। हेमा ने कई बार उस समय का उल्लेख किया है।

हेमा मालिनी को अक्सर एक परिपूर्ण छवि के रूप में देखा जाता है—झिलमिलाती आंखें, मुस्कान और सजे हुए सपनों का आकाश। उन्होंने जीवन के हर किरदार को शिद्दत से निभाया, चाहे वह एक्ट्रेस का हो, नृत्यांगना का, प्रेमिका, पत्नी, मां, या सांसद का। हर काम में उन्होंने अपना सौ फीसदी दिया।

उनके भाई आर.के. चक्रवर्ती ने अपनी किताब ‘गैलोपिंग डीकेड्स: हैंडलिंग द पैसेज ऑफ टाइम’ में हेमा की विशेषताओं का उल्लेख किया है। वहीं भावना सोमाया की ‘हेमा मालिनी: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी’ में उन क्षणों की चर्चा है जिन्होंने हिंदी सिनेमा को एक दृढ़ एक्ट्रेस से मिलवाया।

16 अक्टूबर 1948 को तिरुचिरापल्ली जिले के अम्मानकुडी में जन्मी हेमा छोटी उम्र से ही मंच पर थीं, लेकिन किसी ने उन्हें एक्ट्रेस के रूप में नहीं देखा—वह घर में एक शांत बच्ची थीं, जिन्हें मां जया लक्ष्मी अय्यर भरतनाट्यम का कठोर अभ्यास करवाती थीं। मां जानती थीं कि यह बच्ची साधारण नहीं, एक समर्पित साधिका बनेगी। पिता, वी.एस. रामन, सरकारी मुलाजिम थे। भाई आर. चक्रवर्ती ने अपनी किताब में हेमा की उस तलाश के बारे में लिखा। बताया कि 'वह उम्र में नहीं, बल्कि लय में बढ़ी, हेमा कभी चली नहीं, वह ग्लाइड करती थीं।'

यही वह पंक्ति है जो बताती है कि हेमा उम्र से नहीं, नूपुर की झंकार से आगे बढ़ीं।

फिर आया वह समय जब हेमा की हिंदी फिल्म में एंट्री हुई। पहली फिल्म सपनों का सौदागर थी और सामने थे द ग्रेट शोमैन राज कपूरहेमा मालिनी: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी में पहले स्क्रीन टेस्ट तक पहुंचने की पूरी कहानी है। इसमें हेमा के घर में पिता और मां के बीच हुई अनबन का जिक्र है। यह भी कि पिता ने पूरे हफ्ते नाराज होकर परिवार के साथ खाना नहीं खाया और यह भी कि कैसे मां ने उन्हें मना लिया।

हेमा भी पर्दे पर दिखने की ख्वाहिश नहीं रखती थीं, लेकिन उन्होंने अपनी मां की इच्छा का सम्मान किया और उस अपमान से भी पार पाने का रास्ता चुना जो वर्षों पहले एक तमिल फिल्म में रिजेक्ट होने से उपजा था। खैर, इस फिल्म का स्क्रीन टेस्ट हेमा मालिनी के दिमाग पर अब भी छपा हुआ है।

उन्होंने बताया कि स्क्रीन टेस्ट देवनार के स्टूडियो में होना था। तब तक हेमा स्टेज पर बतौर नृत्यांगना खुद को स्थापित कर चुकी थीं। उनका अपना स्टाफ था, जिसमें मेकअप मैन माधव पई, ड्रेसमैन विष्णु और स्पॉट-बॉय हनुमान शामिल थे। सबने हेमा का हौसला बढ़ाया। विष्णु ने ड्रेस रूम में पद्मिनी और वैजयंतीमाला जैसी दिग्गज अभिनेत्रियों की पोशाकें दिखाते हुए कहा, 'एक दिन इनके अलावा तुम्हारी पोशाकें भी टंगी होंगी?' मेकअप मैन ने कहा, 'निडर रहो, ऐसे प्रदर्शन करो जैसे कमरे में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है... अपना दिल खोलो और देखो कि रोशनी तुम्हारे चेहरे पर कैसे चमकती है।' नर्वस हेमा थोड़ी संभली और टेस्ट दिया।

18-19 साल की इस एक्ट्रेस ने जो स्टेज पर किया, उसे देख राज कपूर भी तपाक से बोल पड़े, 'यह भारतीय पर्दे की सबसे बड़ी स्टार बनने जा रही हैं?' साउथ में सिरे से खारिज की गई हेमा और उनकी मां जया के घावों पर यह मरहम की तरह था।

फिल्मों में आना उनका निर्णय नहीं था; यह उनकी मां की महत्वाकांक्षा थी। लेकिन ड्रीम गर्ल बनना उनका सपना भी नहीं था; यह तो लोगों ने उन्हें उपाधि की तरह पहना दी। सफलता मिली, मगर वह कभी उसमें बसी नहींं।

उन्होंने प्यार किया, विवाह किया, परिवार बनाया—मगर इन सबके बीच भी वे एक नृत्यांगना ही रहीं। बेटियां ईशा और अहाना जब जन्मदिन पर उनके सामने घुंघरू लेकर बैठती हैं, तो वे उन्हें मां की तरह नहीं, गुरु की तरह देखती हैं। यह विरोधाभास ही हेमा हैं—ममता में कठोर, कठोरता में करुणा। भाई इस पर भी लिखते हैं। 'वह प्यार के मामले में नर्म थी, और अनुशासन में कठोर।' यह दो वाक्य शायद किसी भी जीवनी में नहीं मिलेंगे, पर यही वह सत्य है जिसे “ड्रीम गर्ल” का तमगा कभी छू नहीं सका।

उनके भाई की किताब में एक पंक्ति छिपी है, जो शायद सबसे सच्चा परिचय है इकलौती बहन हेमा का और वह है- 'उसने कभी शोहरत का पीछा नहीं किया, बल्कि शालीनता को तलाशा और शोहरत उनके पीछे ब्रेथलेस साथ चल दिया।'

हेमा मालिनी को समझना है तो उनके प्रख्यात संवाद नहीं, उनके मौन को पढ़ना होगा। उनका जीवन कोई चमकती गाथा नहीं, बल्कि एक अनंत रियाज है।

Point of View

जो अपने सपनों के पीछे दौड़ना चाहती है।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

हेमा मालिनी का जन्म कब हुआ?
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को हुआ था।
उनकी पहली फिल्म कौन सी थी?
उनकी पहली फिल्म 'सपनों का सौदागर' थी।
क्या उनके पिता ने उनके फिल्म करियर का समर्थन किया?
नहीं, उनके पिता ने उनके फिल्म करियर का विरोध किया।
हेमा मालिनी को कौन सा उपनाम दिया गया?
उन्हें 'ड्रीम गर्ल' का उपनाम दिया गया।
उन्होंने किस नृत्य में प्रशिक्षण लिया?
उन्होंने भरतनाट्यम में प्रशिक्षण लिया।