क्या ओम राउत ने अपने घर के लिविंग रूम में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की तस्वीर लगाई है?

सारांश
Key Takeaways
- ओम राउत की फिल्म 'इंस्पेक्टर झेंडे' में तिलक का प्रभाव महत्वपूर्ण है।
- लोकमान्य तिलक की तस्वीर उनके परिवार में विशेष महत्व रखती है।
- तिलक ने भारतीय पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- ओम राउत की कहानी कहने की प्रक्रिया में गहरी रिसर्च शामिल है।
- तिलक का जीवन हमें प्रेरणा और संघर्ष का पाठ पढ़ाता है।
मुंबई, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। निर्देशक और निर्माता ओम राउत इन दिनों अपनी नई फिल्म 'इंस्पेक्टर झेंडे' के कारण काफी चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में अपने बचपन और परिवार पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव के बारे में साझा किया। ओम राउत ने बताया कि लोकमान्य तिलक की विचारधारा, उनका संघर्ष और उनकी कहानियाँ उनके लिए प्रेरणा का महत्वपूर्ण स्रोत रही हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में ओम राउत ने कहा, 'मेरे पिता ने मुझे लोकमान्य तिलक की कहानी सुनाई थी। मेरे पिता भी पत्रकार थे, और लोकमान्य तिलक को भारत के सबसे बड़े पत्रकारों में गिना जाता है। इसलिए हमारे घर में हम हमेशा उन्हें एक बहुत विशेष और महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में मानते रहे हैं।'
उन्होंने यह भी बताया कि उनके माता-पिता के घर में लोकमान्य तिलक की एक तस्वीर है। उन्होंने कहा, 'यह तस्वीर हमारे लिविंग रूम के ठीक बीच में लगी है। इसलिए हमारे परिवार में और हमारी परवरिश में लोकमान्य तिलक को बहुत महत्वपूर्ण समझा जाता है।'
ओम राउत ने आगे कहा, 'जब आप ऐसे महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हैं, तो उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनकी जिंदगी से आपको बहुत कुछ समझ में आता है, और जब आप उनकी कहानी पर फिल्म बनाने की सोचते हैं, तो आप गहराई से रिसर्च करते हैं। इस प्रक्रिया में, आप विशेषज्ञों, इतिहासकारों और लेखकों की मदद लेते हैं, जो आपकी टीम का हिस्सा होते हैं। फिर आप उनके साथ मिलकर एक बेहतरीन कहानी बनाने का प्रयास करते हैं।'
उन्होंने कहा, 'एक सीनियर निर्देशक ने मुझे बताया था, जो कई बायोपिक्स और ऐतिहासिक फिल्मों के निर्माता हैं, कि जब भी आप ऐसी फिल्म बनाते हैं, तो यह ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि ये लोग महान जीवन जी चुके होते हैं, उनके बड़े कार्य और उपलब्धियां होती हैं, और उनकी जिंदगी में बहुत सारी छोटी-छोटी बातें होती हैं। इसलिए यह लगभग असंभव है कि आप सारी बातें केवल दो से ढाई घंटे की फिल्म में दर्शा सकें।'
ओम राउत ने आगे कहा, 'फिर भी आप कुछ खास बातें चुनते हैं, जो कहानी को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करती हैं। आप कोशिश करते हैं कि उस व्यक्ति के अधिकतम गुण और विशेषताएँ फिल्म में प्रदर्शित हो सकें, जिन्हें आप पर्दे पर दिखा सकें। इसी कारण जो फिल्म बनती है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण बातें ही शामिल होती हैं।'
लोकमान्य तिलक केवल एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता नहीं थे, बल्कि उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने दो प्रमुख समाचार पत्रों की स्थापना और संपादन किया, मराठी में 'केसरी', जिसका उद्देश्य भारतीय जनता को जागरूक करना और देशभक्ति की भावना फैलाना था, और अंग्रेजी में 'द मराठा', जो पढ़े-लिखे लोगों के लिए राजनीतिक और सामाजिक सुधारों की चर्चा करता था। तिलक ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की, देशभक्ति को बढ़ावा दिया और लोगों को राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनकी लेखनी ने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती प्रदान की।