क्या राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर सबूत देकर आरोप लगाया, जिसकी जांच होनी चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- हुसैन दलवई ने जांच की मांग की है।
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- पूर्व चुनाव आयुक्त ने भी इसे महत्वपूर्ण माना है।
- यह मामला राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण है।
मुंबई, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। रविवार को कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई ने इस आरोप को दोहराते हुए जांच की मांग की।
हुसैन दलवई ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "चुनाव आयोग के लोग यह सब जानबूझकर कर रहे हैं। ये संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी को समझ नहीं रहीं और इशारे पर काम कर रही हैं। शरद पवार द्वारा उठाए गए सवाल में बड़ा तथ्य है और इसकी जांच होनी चाहिए। हमें खुशी है कि उद्धव ठाकरे ने भी राहुल गांधी के सवाल का समर्थन किया है। पूर्व चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने भी कहा है कि इस मामले की जांच आवश्यक है। राहुल गांधी ने सारे सबूत देकर जांच की मांग की है, फिर भी आरोप उन पर ही लगाए जा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर बोल रहा है, और भाजपा के लोग भी यही बात कर रहे हैं। जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है, तो भाजपा नेताओं को इसमें क्यों बोलना पड़ रहा है? कहीं न कहीं 'दाढ़ी में तिनका' है।"
पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट गिराए जाने को लेकर उन्होंने कहा, "इतने दिन बाद यह बयान क्यों दिया जा रहा है? अगर पाकिस्तान के पांच विमान गिरे थे, तो पहले क्यों नहीं बताया गया? रक्षा मंत्री एक बात कहते हैं, जबकि अन्य अधिकारी कहते हैं कि हमें नुकसान भी हुआ था। यह विरोधाभास स्पष्ट है।"
मुंबई में कबूतर खाना विवाद पर मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा की टिप्पणी को लेकर उन्होंने कहा, "कबूतरों के कारण कई बीमारियां होती हैं। डॉक्टर कई बार चेतावनी दे चुके हैं। हर बस्ती में कबूतर खाना बनाना खतरनाक है। हम पक्षियों या जानवरों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन समझदारी जरूरी है। मैं मंगल प्रभात लोढ़ा से कहूंगा कि उनके कई हाउसिंग प्रोजेक्ट मुंबई में हैं, तो वहां कबूतर खाना क्यों नहीं खोलते? वहां जैन लोग भी रहते हैं, वे उन्हें खिलाएंगे, किसी को मारेंगे नहीं, और विवाद भी नहीं होगा। वर्तमान में 51 कबूतरखाने हैं, लेकिन सिर्फ कबूतरों को जिंदा रखना और बाकी पक्षियों की परवाह न करना सही नहीं है।