क्या आईएफएफआई में 'ओस्लो: ए टेल ऑफ प्रॉमिस' का टीजर देखकर लोग भावुक हुए?
सारांश
Key Takeaways
- जानवरों के प्रति संवेदना बढ़ाना
- इंसान-जानवर संबंधों की गहराई समझना
- सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना
- फिल्म निर्माण में भावनात्मक गहराई की अहमियत
- सामाजिक संदेश का महत्व
मुंबई, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 56वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) में 'ओस्लो: ए टेल ऑफ प्रॉमिस' फिल्म का टीजर प्रस्तुत किया गया, जिसे उपस्थित दर्शकों ने अत्यधिक सराहा। टीजर समाप्त होते ही दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए। अब यह टीजर आम जनता के लिए भी रिलीज कर दिया गया है।
'ओस्लो: ए टेल ऑफ प्रॉमिस' एक गैर-काल्पनिक फिल्म है, जिसे जॉन अब्राहम ने स्वयं प्रस्तुत और प्रोड्यूस किया है। टीजर के बारे में जॉन ने कहा, ''यह केवल एक छोटी झलक है। मैं चाहता था कि दर्शक फिल्म की कहानी में मौजूद पात्रों के संबंधों को महसूस करें और मेरी यह इच्छा पूरी हुई। यह फिल्म हमें सोचने, सुनने और किसी अन्य जीव की दृष्टि से दुनिया को समझने का पाठ पढ़ाती है।''
फिल्म की कहानी की असली ताकत एक साइबेरियन हस्की डॉग, ओस्लो, और प्रोटेक्टर इकोलॉजिकल फाउंडेशन की संस्थापक पूजा आर. भाले के बीच अद्वितीय संबंध है। फिल्म की निर्देशक ईशा पुंगालिया ने इस रिश्ते को बहुत ही संवेदनशील तरीके से पर्दे पर उतारा है।
फिल्म यह खोजती है कि जानवर केवल साथी नहीं होते, बल्कि वे हमें संभालते हैं, हमें जमीन से जुड़े रखते हैं और कठिन समय में हमारे मजबूत सहारे बनते हैं।
निर्देशक ईशा पुंगालिया ने टीजर पर दर्शकों की प्रतिक्रिया के बारे में अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, ''मुझे पहले से ही पता था कि इस कहानी में एक अद्वितीय ताकत है। लेकिन जब मैंने लोगों को इस कहानी से इतनी गहराई से जुड़ते देखा, तो मैं खुद भी भावुक हो गई।''
ईशा ने कहा कि जानवर हमें यह बार-बार याद दिलाते हैं कि हम इंसान कैसे बेहतर बन सकते हैं, और फिल्म का हर फ्रेम यही संदेश देता है। मेरे लिए यह अनुभव केवल एक फिल्म बनाने का नहीं, बल्कि उस रिश्ते को समझने का था, जो इंसान और जानवर की सीमाओं से परे जाता है।
फिल्म की केंद्रीय कहानी पूजा भाले और ओस्लो के रिश्ते पर आधारित है। पूजा ने बताया कि जब ओस्लो उनसे मिला, तब वह कमजोर और डरा हुआ था, जो कि एक सुरक्षित आश्रय की तलाश में था। लेकिन धीरे-धीरे वह उनके लिए एक शिक्षक बन गया। ओस्लो ने उन्हें सिखाया कि किस प्रकार स्वीकार करना है और किस पर भरोसा करना है।