क्या इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे पर सिनेमा ने दोस्ती की कहानियों को बखूबी पेश किया?

सारांश
Key Takeaways
- दोस्ती का महत्व जीवन में बहुत बड़ा होता है।
- फिल्में हमें दोस्ती के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती हैं।
- भले ही समय बदलता है, दोस्ती की भावना हमेशा बनी रहती है।
- दोस्ती में बलिदान और एक-दूसरे का सहारा बनना आवश्यक है।
- सिनेमा ने दोस्ती की कहानियों को प्रस्तुत करने का अद्भुत कार्य किया है।
मुंबई, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ‘दोस्ती’ शब्द सुनते ही जय और वीरू की छवि मन में उभर आती है। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘शोले’ आज भी मित्रता का प्रतीक बनी हुई है। फिल्म उद्योग ने सिनेमा के माध्यम से दोस्ती और दोस्तों की कहानियों को शानदार तरीके से प्रस्तुत करने की कला में महारत हासिल की है। इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे के अवसर पर आइए नजर डालते हैं उन फिल्मों पर, जहां मित्रता के लिए जान देने या साथी की ढाल बनने की कहानियों को बखूबी दर्शाया गया है।
बॉलीवुड ने अनेक ऐसी फिल्मों के माध्यम से दोस्ती के जज्बे को पर्दे पर जीवंत किया है, जो हंसी, आंसुओं और बलिदान से भरी हैं।
1975 में आई ‘शोले’ को बॉलीवुड की सबसे उत्कृष्ट फिल्मों में गिना जाता है, जिसमें जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) की मित्रता की मिसाल दिखाई गई है। ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) इन दोनों नायकों को गब्बर सिंह को पकड़ने का कार्य सौंपते हैं। इनकी कहानी हंसी, रोमांच और बलिदान से भरी हुई है। जब डाकुओं ने वीरू और उसकी प्रेमिका बसंती (हेमा मालिनी) को पकड़ लिया, तब जय ने अपनी जान देकर उन्हें बचा लिया।
2001 में आई ‘दिल चाहता है’ फरहान अख्तर की फिल्म है, जो आकाश (आमिर खान), समीर (सैफ अली खान) और सिद्धार्थ (अक्षय खन्ना) की दोस्ती की कहानी है। यह फिल्म आधुनिक दोस्ती के उतार-चढ़ाव, प्यार और जीवन के परिवर्तनों को दर्शाती है। दोस्तों के बीच मतभेद होने पर भी, वे हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं।
2003 में प्रदर्शित ‘कल हो ना हो’ फिल्म कई मायनों में खास थी। इसमें शाहरुख खान, सैफ अली खान और प्रीति जिंटा ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। अमन (शाहरुख) को यह पता है कि उसकी सांसें अधिक नहीं बची हैं, फिर भी वह अपनी दोस्त नैना (प्रीति) को खुश देखना चाहता है। वह नैना और रोहित (सैफ) को एक-दूसरे के करीब लाने की कोशिश करता है, अपनी भावनाओं को छिपाते हुए। यह फिल्म दोस्ती की कहानी को नए तरीके से प्रस्तुत करती है।
मल्टीस्टारर फिल्म ‘रंग दे बसंती’ 2006 में आई थी। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की यह फिल्म दोस्ती और देशभक्ति का अद्भुत मेल है। इसमें आमिर खान, सिद्धार्थ, शरमन जोशी, कुणाल कपूर और अतुल कुलकर्णी जैसे सितारे हैं। यह कहानी एक ब्रिटिश फिल्ममेकर के भारत आने और पांच दोस्तों को स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित करने की है। जब इनमें से एक मित्र सिस्टम की गलतियों का शिकार होता है, तो ये दोस्त मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं और अपनी जान तक कुर्बान कर देते हैं। यह फिल्म दोस्ती की गहराई को बखूबी दर्शाती है।
दोस्ती की चर्चा में 2009 में प्रदर्शित ‘3 इडियट्स’ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राजकुमार हिरानी की यह फिल्म रणछोड़दास (आमिर खान), राजू (शरमन जोशी) और फरहान (आर. माधवन) की कॉलेज जीवन की दोस्ती की कहानी है। यह फिल्म न केवल शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करती है, बल्कि दोस्ती के महत्व को विशेष रूप से दर्शाती है। रणछोड़दास अपने दोस्तों को जीवन में सही मार्ग चुनने के लिए प्रेरित करता है। जब राजू मुश्किल में होता है, तो रणछोड़दास और फरहान उसकी सहायता के लिए दौड़ते हैं। यह फिल्म हास्य, प्रेरणा और दोस्ती का शानदार मिश्रण है।