क्या जैकी श्रॉफ ने मोहम्मद रफी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी?
सारांश
Key Takeaways
- मोहम्मद रफी ने कई भाषाओं में गाने गाए हैं।
- उनकी आवाज़ में एक जादू था जो आज भी लोगों को आकर्षित करता है।
- जैकी श्रॉफ ने उनकी जयंती पर उन्हें याद किया।
- रफी की विरासत आज भी संगीत के प्रति नए गायक को प्रेरित करती है।
- रफी ने कई प्रसिद्ध अभिनेताओं को अपनी आवाज दी।
मुंबई, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के सर्वाधिक प्रिय पार्श्वगायकों में से एक, मोहम्मद रफी ने प्रेम, दुख और देशभक्ति जैसे विषयों पर गीत गाए हैं। भले ही वह अब हमारे बीच नहीं हैं, उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। बुधवार को उनकी जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर अभिनेता जैकी श्रॉफ ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
जैकी श्रॉफ ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर रफी की एक तस्वीर साझा की और लिखा, "मोहम्मद रफी साहब की जयंती पर हम उन्हें याद करते हैं।"
जैकी श्रॉफ अक्सर अपने सोशल मीडिया पर उन महान हस्तियों को याद करते हैं जिन्होंने सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रफी की विरासत आज भी जनमानस में जीवित है। नए गायक उनकी शैली से प्रेरणा लेते हैं और उनके गाए हुए गाने आज भी लोगों को जीवंत कर देते हैं। रफी की आवाज में एक अद्भुत जादू था, जो उन्हें अद्वितीय बनाता था। उन्होंने अपने गांव में फकीर के गानों की नकल करते हुए गाना सिखा।
रफी एक ऐसे परिवार से थे जो संगीत को गुनाह मानते थे। उन्होंने लगभग ग्यारह भारतीय भाषाओं में गाने गाए, जिनमें हिंदी, पंजाबी, बंगाली, मराठी, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़, सिंधी, और असमिया शामिल हैं।
रफी ने १३ साल की उम्र में लाहौर में पहली बार प्रदर्शन किया था और फिर मुंबई आकर नौशाद
उन्होंने गुरु दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, शम्मी कपूर, अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे कई अभिनेताओं को अपनी आवाज दी।
रफी ने ३१ जुलाई १९८० को इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन जाने से पहले उन्होंने फिल्म 'आस-पास' का मशहूर गाना "शाम फिर क्यों उदास है दोस्त, तू कहीं आसपास है दोस्त" गाया, जिसका संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने तैयार किया था।