क्या हिंदी-मराठी भाषा विवाद में अभिनेता जैन दुर्रानी का सम्मान जरूरी है?

सारांश
Key Takeaways
- भाषाई विविधता का सम्मान करना आवश्यक है।
- संस्कृतियों का एकजुटता का माध्यम बनाना चाहिए।
- क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाना महत्वपूर्ण है।
- संस्कृति का सम्मान दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए।
- इस विवाद से सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिल सकता है।
मुंबई, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता जैन दुर्रानी की नई फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने के लिए तैयार है। इस दौरान, जैन ने महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच चल रहे विवाद पर अपनी स्पष्ट राय साझा की। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जैन ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को बनाए रखते हुए उस क्षेत्र की भाषा और संस्कृति को अपनाना चाहिए जहाँ हम निवास करते हैं।
इस मुद्दे पर उन्होंने सांस्कृतिक एकता का समर्थन करते हुए कहा कि भाषाई विविधता को एक एकजुटता का माध्यम बनाना चाहिए।
जैन ने कहा, "भारत में अनेक भाषाएं और संस्कृतियां हैं। मेरा मानना है कि हमें जिस क्षेत्र में रहना है, वहां की भाषा का सम्मान करना आवश्यक है। यह सम्मान केवल दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि वहां की संस्कृति को अपनाने और अपनी संस्कृति को साझा करने के लिए होना चाहिए।"
हाल ही में, महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच तनाव देखा गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं पर आरोप है कि उन्होंने मराठी न बोलने वालों के खिलाफ हिंसक कदम उठाए हैं।
जैन दुर्रानी की आगामी फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ रस्किन बांड की कहानी ‘द आइज हैव इट’ से प्रेरित है। इस फिल्म में उनके साथ विक्रांत मैसी और शनाया कपूर मुख्य भूमिका में हैं।
यह फिल्म जी स्टूडियोज और मिनी फिल्म्स द्वारा निर्मित की गई है, और इसके प्रोड्यूसर मानसी बागला और वरुण बागला हैं।
विक्रांत मैसी दूसरी बार मिनी फिल्म्स के साथ काम करने जा रहे हैं। इससे पहले, मैसी ने ‘फॉरेंसिक’ के रीमेक में मिनी फिल्म्स के साथ काम किया था।
‘आंखों की गुस्ताखियां’ फिल्म 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।