क्या जीवन सिर्फ सांस लेने का नाम है, या अपने भीतर की कला को पहचानना भी है? : यामी गौतम
सारांश
Key Takeaways
- जीवन केवल सांस लेने का नाम नहीं है।
- हर व्यक्ति के भीतर कला होती है।
- कला का सम्मान करना आवश्यक है।
- रचनात्मकता के पीछे भगवान की कृपा होती है।
- अपने उद्देश्य की पहचान करना महत्वपूर्ण है।
मुंबई, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री यामी गौतम आज भारतीय सिनेमा की उन विशिष्ट कलाकारों में से मानी जाती हैं, जो अपनी सादगी, संवेदनशील अभिनय और गहरे विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें सफल अभिनेत्रियों में गिना जाता है। अपनी उपलब्धियों को लेकर उन्होंने कहा कि इंसान एक कलाकार है, लेकिन उसकी रचनात्मकता के पीछे भगवान की कृपा छिपी होती है।
यामी ने अपनी आगामी फिल्म 'हक' के प्रमोशन के दौरान राष्ट्र प्रेस से बातचीत की।
उन्होंने कहा, ''हम सभी इस दुनिया में ईश्वर की खास रचना हैं। यदि इंसान अपनी असली ताकत और क्षमता को समझ ले, तो वह इस दुनिया को बेहतर बना सकता है। हम सभी के भीतर कुछ न कुछ खास है, पर अक्सर हम अपनी ताकत को पहचान नहीं पाते। जब हम खुद को समझने लगते हैं, तब हमें एहसास होता है कि जीवन केवल सांस लेने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है, अपने भीतर की कला को पहचानने और उसे सही दिशा देने की।''
उन्होंने आगे कहा, ''हर व्यक्ति को इस दुनिया में किसी न किसी उद्देश्य के साथ भेजा गया है। हर इंसान के भीतर एक अलग तरह की कला होती है, जो उसे ईश्वर की तरफ से मिली होती है। कला केवल पेंटिंग, संगीत या अभिनय तक सीमित नहीं है, बल्कि कोई भी काम जो दिल से किया जाए, वह भी एक कला हो सकता है।''
उन्होंने कहा कि कला एक आशीर्वाद है और यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे कितना सम्मान देते हैं।
यामी ने बताया, ''यदि मैं एक लेखक हूं, तो मेरे लिए कलम और विचार सबसे ज्यादा पवित्र हैं। जब इंसान अपने काम को श्रद्धा से करता है, तो उसमें ईश्वर का स्पर्श महसूस होता है। हम सब ईश्वर की रचना हैं, उसकी अभिव्यक्ति हैं।''
यामी ने फिल्म 'हक' में एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है जिसे उसका पति तीन तलाक देकर छोड़ देता है। इसके बाद वह अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग करने और सम्मानपूर्वक जीवन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ती है।
यह फिल्म 7 नवंबर को दुनियाभर में रिलीज होगी।