क्या बॉलीवुड के 'शराबी' ने बिना शराब पीए दर्शकों को हैरान किया?
सारांश
Key Takeaways
- जॉनी वॉकर का असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था।
- उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में काम किया।
- उनकी प्रसिद्ध फिल्में 'मधुमती' और 'कागज के फूल' हैं।
- जॉनी ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते।
- उनका जीवन और कार्य प्रेरणादायक हैं।
मुंबई, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा में कई अद्भुत कलाकारों ने अभिनय के माध्यम से दर्शकों का दिल जीत लिया है, जिनमें जॉनी वॉकर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनकी अदाकारी ने न केवल लोगों को हंसाया बल्कि उनकी अद्भुत एक्टिंग ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी फिल्मों में अक्सर शराबी का किरदार देखने को मिलता था।
जॉनी वॉकर का असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था, और उनका जन्म 11 नवंबर 1920 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे। परिवार की आर्थिक परेशानियों के कारण जॉनी ने बचपन में ही काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने इंदौर में अंडे, मूंगफली और सब्जियाँ बेचीं।
जब फैक्ट्री बंद हुई, तो जॉनी वॉकर और उनका परिवार मुंबई आ गया। यहां उन्होंने बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट में बस कंडक्टर के रूप में काम किया। इस नौकरी में उनकी मासूमियत और हास्य ने उन्हें यात्रियों का प्रिय बना दिया। यही अंदाज उनके अभिनय का पहला कदम साबित हुआ।
बस कंडक्टर के रूप में काम करते हुए, जॉनी की किस्मत ने उन्हें फिल्म उद्योग में लाने का अवसर दिया। अभिनेता बलराज साहनी ने उनकी प्रतिभा की पहचान की और उन्हें गुरु दत्त से मिलने के लिए कहा। जॉनी ने गुरु दत्त के सामने शराबी का रोल निभाया, जिसे देखकर गुरु दत्त ने उन्हें फिल्म 'बाजी' में साइन कर लिया।
जॉनी वॉकर ने अपने करियर में लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उनकी फिल्में केवल हास्य तक सीमित नहीं थीं, वे कई बार गाने और स्टोरीलाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 'मधुमती', 'जाल', 'आंधियां', 'नया दौर', 'टैक्सी ड्राइवर', 'मुझसे शादी करोगी', और 'कागज के फूल' शामिल हैं।
जॉनी वॉकर ने बॉलीवुड में कई अनोखे काम किए। वे पहले अभिनेता थे जिन्होंने अपना मैनेजर रखा और आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, उन्होंने सेट पर रविवार को काम न करने का ट्रेंड भी शुरू किया।
उनकी कॉमेडी के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिनमें फिल्म 'मधुमती' के लिए स्पोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है। जॉनी ने 1998 में कमल हासन और गुलजार के कहने पर फिल्म 'चाची 420' में भी एक छोटा सा किरदार निभाया। उनका देहांत 29 जुलाई 2003 को मुंबई में हुआ, लेकिन उनकी हंसी और बेहतरीन एक्टिंग आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।