क्या भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर के साथ बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता है?

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क्या भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर के साथ बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता है?

सारांश

कैलाश खेर ने भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर की चुनौतियों पर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि जब तक बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक इस क्षेत्र में सुधार कठिन है। क्या सही दिशा और प्रशिक्षण से भारतीय संगीत में बदलाव आएगा? जानिए उनका क्या कहना है और इसका समाज पर क्या असर होगा।

Key Takeaways

  • कॉन्सर्ट्स में बुनियादी सुविधाओं की कमी
  • समाज में कला और शिक्षा का महत्व
  • कैलाश खेर एकेडमी का उद्देश्य
  • टैलेंट को पहचानने की आवश्यकता
  • मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना

मुंबई, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर, जिन्होंने अपने करियर में कई हिट गाने दिए हैं, ने हाल ही में भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर से जुड़ी चुनौतियों पर विचार किया।

राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कैलाश खेर ने कहा कि भारत में आयोजित हो रहे कॉन्सर्ट्स में भीड़ तो बहुत होती है, लेकिन वहां जरूरी सुविधाओं का अभाव होता है।

जब उनसे पूछा गया कि म्यूजिक शो या इवेंट्स में साफ-सुथरे पब्लिक टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, तो उन्होंने इस पर सहमति जताई और कहा कि कॉन्सर्ट में आए लोग मस्ती में इतने डूबे रहते हैं कि वे अक्सर बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी कर देते हैं।

कैलाश खेर ने आगे कहा कि जैसे-जैसे लोगों की सोच कला और शिक्षा के माध्यम से विकसित होगी, वैसे-वैसे ये चुनौतियाँ भी कम होंगी। उन्होंने कहा, ''समय के साथ इसमें सुधार होगा।'' अभी लोग कॉन्सर्ट में मस्ती और जोश में इतने खो जाते हैं कि वे बुनियादी सुविधाओं को भी भूल जाते हैं। यह समस्या गंभीर है। जब लोगों की सोच कला और अच्छी शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ेगी, तो इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ''असली तरक्की सिर्फ मिसाइल या बारूदों से नहीं होती, बल्कि तरक्की तब होती है जब समाज में समझदार और जागरूक लोगों की संख्या बढ़ती है।'' सही शिक्षा से ऐसे लोग बनते हैं, जो समाज को बेहतर बना सकते हैं।

जब कैलाश खेर से पिछले दस सालों में बॉलीवुड म्यूजिक में आए बदलाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे म्यूजिक को 'बॉलीवुड' या 'नॉन-बॉलीवुड' के हिस्सों में नहीं बांटते।

उन्होंने बताया कि आजकल इंडिपेंडेंट और नॉन-फिल्म म्यूजिक बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनके खुद के प्लेटफॉर्म ने लोक कलाकारों, मंगणियार, और घुमंतु जनजाति की पहचान बढ़ाने में मदद की है। उनका मानना है कि ये बदलाव भारत की संगीत विरासत के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हमारे देश के पारंपरिक संगीत और कलाकारों को सम्मान और पहचान मिल रही है।

राष्ट्र प्रेस ने जब कैलाश खेर से पूछा कि आजकल कई भारतीय सिंगर वेस्टर्न स्टाइल की नकल क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ''आजकल पढ़े-लिखे लोग भी बस दूसरों की नकल करते हैं, जैसे रटा-रटाया बोल रहे हों।'' इस बढ़ते चलन के कारण हमने 'कैलाश खेर एकेडमी फॉर लर्निंग आर्ट' (केकेएएलए) शुरू किया है। इसका मकसद लोगों में छिपी प्रतिभा को आगे लाना है। कला सिर्फ गाना या नाचना नहीं है, कला का असली मतलब समझ, असलीपन और अपनी अलग पहचान से है। कलाकारों को कॉपी करने की बजाय कुछ नया, सच्चा और भावपूर्ण बनाना चाहिए।

कैलाश खेर ने आगे कहा, ''भारत में बहुत से लोगों में जन्मजात टैलेंट होता है, खासकर जो गरीब या कम सुविधाओं वाले परिवारों से आते हैं।'' ये लोग अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं, जो काबिले-तारीफ है, लेकिन उन्हें कोई सही दिशा नहीं मिलती। केकेएएलए ऐसे लोगों को एक सही तरीका और प्रशिक्षण देने के लिए शुरू की गई है। इस एकेडमी का मकसद सिर्फ गाना सिखाना नहीं है, बल्कि स्कूलों तक पहुंचकर बच्चों की मानसिक सेहत पर भी ध्यान देना है।

उन्होंने कहा कि आज हर कोई, चाहे वो पैरेंट्स हों, प्रिंसिपल, स्कूल ट्रस्टी, या बच्चे, सब पर किसी न किसी तरह का दबाव है। लेकिन कोई भी इसे ठीक से समझने या हल करने की कोशिश नहीं कर रहा। केकेएएलए का लक्ष्य है कि कला, संगीत और क्रिएटिविटी को स्कूलों का हिस्सा बनाया जाए, ताकि बच्चों का तनाव कम हो, और वे मानसिक रूप से ज्यादा खुश और मजबूत बन सकें।

Point of View

बल्कि दर्शकों के लिए भी आवश्यक है कि वे एक सुखद अनुभव प्राप्त करें। यदि हम सही दिशा में प्रयास करें, तो भारतीय संगीत और कला का भविष्य उज्जवल हो सकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

कैलाश खेर ने कॉन्सर्ट संस्कृति के बारे में क्या कहा?
कैलाश खेर ने कहा कि भारत में कॉन्सर्ट्स में भीड़ तो होती है, लेकिन आवश्यक सुविधाओं का अभाव होता है।
कैलाश खेर एकेडमी फॉर लर्निंग आर्ट का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य लोगों में छिपी प्रतिभा को आगे लाना और बच्चों की मानसिक सेहत पर ध्यान देना है।
क्या भारत में संगीत में बदलाव आ रहा है?
कैलाश खेर के अनुसार, इंडिपेंडेंट और नॉन-फिल्म म्यूजिक तेजी से आगे बढ़ रहा है।