क्या गीता कैलासम ने 'अंगम्माल' के शूटिंग अनुभव से सफलता की नई परिभाषा दी?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की गरिमा पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- परंपरा और आत्म-सम्मान का संतुलन दर्शाया गया है।
- गीता कैलासम का शानदार अभिनय।
- सिंक-साउंड तकनीक का उपयोग।
- फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगी।
चेन्नई, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिल सिनेमा में छोटे-छोटे गांवों की कहानियों को बड़े भावनात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है और इस बार दर्शकों के सामने एक नई संवेदनशील कहानी पेश कर रही है फिल्म 'अंगम्माल'। यह फिल्म केवल पारिवारिक झगड़े या सामाजिक विवाद की कहानी नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की गरिमा, परंपरा और आत्म-सम्मान को बारीकी से उजागर करती है।
इस फिल्म का निर्देशन और स्क्रीनप्ले विपिन राधाकृष्णन ने किया है। कहानी तमिलनाडु के एक छोटे गांव की पृष्ठभूमि में बसी हुई है। फिल्म में यह दर्शाया गया है कि कैसे एक मां का पारंपरिक पहनावा, जो बिना ब्लाउज के पहना जाता है, उसके परिवार में विवाद का कारण बन जाता है। यह छोटी-सी परिस्थिति धीरे-धीरे बड़े भावनात्मक मुद्दों की ओर बढ़ती है और दर्शकों को यह एहसास कराती है कि महिलाओं का जीवन परंपरा से प्रभावित होने के बावजूद उनके आत्म-सम्मान और मजबूती से भरा होता है।
इस फिल्म में अभिनेत्री गीता कैलासम मुख्य भूमिका में हैं, जिन्होंने अंगम्माल का किरदार निभाया है।
अपने रोल को लेकर गीता ने बताया कि उन्होंने इस किरदार को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। उन्होंने अंगम्माल की चुप्पी, गर्व और भावनाओं में खुद को खो दिया। फिल्म की शूटिंग ग्रामीण इलाकों में की गई। वहां के लोगों के साथ रहकर उनके जीवन के अनुभवों को अपने अभिनय में समाहित किया गया। इस अनुभव ने हर फ्रेम में उनकी परफॉर्मेंस को शानदार बना दिया।
गीता कैलासम ने निर्देशक विपिन राधाकृष्णन की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "निर्देशक ने मुझे किरदार को खुलकर जीने का अवसर दिया, जिससे मैं अपने अभिनय में प्राकृतिकता और सहजता ला पाई। उन्होंने फिल्म में सिंक-साउंड तकनीक पर विशेष ध्यान दिया। हर सांस और हर हलचल को वास्तविक समय में रिकॉर्ड किया गया। वहीं कैमरा और साउंड टीम ने अदृश्य कलाकारों की तरह काम किया और गांव की असली जिंदगी को पर्दे पर उतारा। इस अनुभव ने एहसास दिलाया कि सफलता खामोशी के साथ मजबूती से आती है।"
उन्होंने कहा, "यह फिल्म सिर्फ एक पारिवारिक कहानी नहीं, बल्कि महिलाओं की स्वतंत्रता, आत्म-सम्मान और परंपराओं के बीच संतुलन की कहानी है। दर्शक इस फिल्म से उम्मीद कर सकते हैं कि यह उन्हें सोचने पर मजबूर करेगी और साथ ही भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करेगी। फिल्म का अनुभव दर्शकों को यह समझाएगा कि कभी-कभी असली ताकत चुपचाप खड़ी होती है, और जीवन की सच्चाई को महसूस कराना ही सबसे बड़ी कला होती है।"
'अंगम्माल' ५ दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है।