क्या हिंदुओं के दर्द की बात करना गुनाह है?

सारांश
Key Takeaways
- द बंगाल फाइल्स फिल्म 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे पर आधारित है।
- विवेक अग्निहोत्री ने ममता बनर्जी से अपील की कि फिल्म को बैन न किया जाए।
- फिल्म का ट्रेलर राजनीतिक दबाव के कारण नहीं दिखाया गया।
- यह फिल्म किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है।
- फिल्म का उद्देश्य सत्य को उजागर करना है।
मुंबई, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री अपनी नई फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' के कारण चर्चा में हैं। इस फिल्म की पृष्ठभूमि में 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और उसके बाद हुए नोआखाली नरसंहार की वास्तविक घटनाएं हैं। यह फिल्म 5 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, लेकिन इसके पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है और बैन की मांग उठने लगी है।
इस बीच, विवेक अग्निहोत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक वीडियो संदेश के जरिए अपील की है कि राज्य सरकार फिल्म पर बैन न लगाए और इसकी शांतिपूर्ण स्क्रीनिंग की अनुमति दे।
वीडियो संदेश में विवेक ने कहा, "माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी, यह वीडियो आपके लिए है। हमारी फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' विश्व भर में रिलीज हो रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि इसे पश्चिम बंगाल में बैन कर दिया जाएगा। थिएटर मालिक मुझसे कह रहे हैं कि उन पर राजनीतिक दबाव है, जिसके कारण वे फिल्म दिखाने से डर रहे हैं। इसी दबाव के चलते 16 अगस्त को फिल्म का ट्रेलर भी सिनेमाघरों में नहीं दिखाया गया। हमने एक होटल में ट्रेलर दिखाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसे रोक दिया।"
अग्निहोत्री ने ममता बनर्जी से अनुरोध किया, "आपने भारत के संविधान की शपथ ली है और हर नागरिक के विचारों को व्यक्त करने के अधिकार की रक्षा करने की भी शपथ ली है। इस फिल्म को भारतीय सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) से मंजूरी मिल चुकी है, जो कि एक सरकारी तंत्र का हिस्सा है। इसलिए यह आपका संवैधानिक दायित्व है कि आप इस फिल्म को शांतिपूर्ण तरीके से रिलीज करने की जिम्मेदारी लें।"
फिल्म के विषय पर विवेक ने कहा, यह 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखाली नरसंहार पर आधारित है, जो भारतीय इतिहास का एक बेहद दर्दनाक अध्याय है। उन्होंने कहा, अगर नोआखाली जैसी घटना नहीं हुई होती, तो शायद भारत का विभाजन भी नहीं होता।
उन्होंने सवाल उठाया, "क्या कोई यहूदी बच्चा है, जो होलोकॉस्ट के बारे में नहीं जानता? क्या कोई अश्वेत बच्चा है, जो गुलामी के इतिहास से अनजान है? क्या कोई जापानी बच्चा है, जिसे हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों की जानकारी नहीं? तो, फिर हमारी पीढ़ी को नोआखाली और डायरेक्ट एक्शन डे के बारे में क्यों नहीं पता?"
विवेक ने बंगाल की सांस्कृतिक और क्रांतिकारी विरासत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "बंगाल सिर्फ दर्द का नाम नहीं है। यहीं से भारत का पुनर्जागरण शुरू हुआ। स्वामी विवेकानंद, टैगोर, रामकृष्ण परमहंस, सुभाष चंद्र बोस… सब यहीं से निकले। लेकिन, ये भी सच है कि बंगाल एकमात्र राज्य है, जिसका दो बार विभाजन हुआ, 1905 और 1947 में।"
फिल्म के संभावित विरोध पर उन्होंने कहा कि 'द बंगाल फाइल्स' किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, "यह फिल्म उनके खिलाफ है, जो इंसानियत के खिलाफ खड़े हुए और आज भी झूठ को जिंदा रखना चाहते हैं। अगर आप एक सच्चे भारतीय और बंगाली के रूप में सोचेंगी, तो इस फिल्म को बैन नहीं बल्कि सैल्यूट करेंगी।"
अग्निहोत्री ने ममता बनर्जी से अपील करते हुए कहा, "अगर आज हम डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखाली की कहानी नहीं सुनाएंगे, तो कब सुनाएंगे? अगर सत्य से डर लगता है, तो आईना नहीं तोड़ा जाता। आईना तोड़ने से चेहरा नहीं बदलता।"
उन्होंने अंत में कहा, "अगर हिंदू इतिहास और नरसंहार का सच बोलना भारत में गुनाह है, तो हां, मैं गुनाहगार हूं। आप सरकार हैं और मैं 'वी द पीपल' का सिर्फ एक नंबर… आप जो चाहें सजा दे सकती हैं। वंदे मातरम्।"