क्या फिल्म की स्क्रिप्ट मेरे लिए धर्मग्रंथ बन जाती है? अभिनय के तरीके को लेकर मनोज बाजपेयी ने दिया बयान
सारांश
Key Takeaways
- मनोज बाजपेयी के लिए स्क्रिप्ट एक धर्मग्रंथ है।
- वह हर किरदार को जीते हैं।
- अभिनय सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि जुनून है।
- निर्देशकों के साथ साझा न करने की अपनी प्रक्रिया है।
- हर नए किरदार को निभाना एक नया अनुभव है।
मुंबई, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मनोज बाजपेयी भारतीय सिनेमा के उन विशिष्ट कलाकारों में से हैं, जिनकी अभिनय हर बार दर्शकों के दिलों में एक अलग स्थान बना लेती है। वह केवल किरदार निभाने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उन किरदारों को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं। यही कारण है कि उनकी फिल्मों और वेब सीरीज में हर भूमिका ऐसा लगता है जैसे वह उनके लिए ही विशेष रूप से लिखी गई हो।
एक इवेंट में, जब उनसे उनके अभिनय के रहस्य के बारे में पूछा गया, तो मनोज बाजपेयी ने अत्यंत सहजता से इसका उत्तर दिया।
उन्होंने बताया कि वह काफी समय से सोच रहे हैं कि शायद उन्हें अपनी अभिनय और किरदारों पर एक पुस्तक लिखनी चाहिए। उन्होंने कहा, "मैंने कई अलग-अलग निर्देशकों के साथ काम किया है और हर निर्देशक का अभिनय और फिल्म बनाने का तरीका अलग होता है। मैं किसी भी किरदार को निभाने से पहले स्क्रिप्ट को कई दिनों तक पढ़ता हूं। स्क्रिप्ट मेरी सबसे बड़ी मार्गदर्शिका होती है और मैं बार-बार पढ़कर किरदार की हर बारीकी को अपने अंदर समाहित करता हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "जब कोई स्क्रिप्ट मेरे हाथ में आती है, तो अगले दो-तीन महीनों तक वह मेरे लिए एक धर्मग्रंथ बन जाती है। मैं सुबह उठते ही और सोने से पहले भी उसे पढ़ता हूं। अगर कभी कोई संदेह होता है, तो मैं तुरंत स्क्रिप्ट को खोलकर उसे समझता हूं।"
उन्होंने बताया कि वह अपनी अभिनय प्रक्रिया को निर्देशक के साथ साझा नहीं करते, क्योंकि निर्देशक को केवल कैमरे के सामने क्या हो रहा है, यह देखना होता है, और इसमें उनकी निजी तैयारी की जानकारी की आवश्यकता नहीं होती।
मनोज बाजपेयी ने अपनी जिंदगी की चुनौतियों के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा, "मैंने एक आरामदायक जीवन, परिवार और घर को छोड़कर अभिनय का मार्ग चुना। यह निर्णय मैंने खुद लिया। हर नए किरदार को निभाना मेरे लिए एक नया अनुभव होता है। कई प्रतिभाशाली अभिनेता हैं, इसलिए मेरी कोशिश होती है कि मैं हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ दूं। अभिनय केवल मेरा पेशा नहीं, बल्कि मेरा जुनून है और मैं इसे पूरी ईमानदारी से निभाता हूं।"