पूर्णिमा श्राद्ध: क्या है इसका महत्व, पूजा का सही समय और नियम?

Click to start listening
पूर्णिमा श्राद्ध: क्या है इसका महत्व, पूजा का सही समय और नियम?

सारांश

पूर्णिमा श्राद्ध एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। जानें इसके महत्व और सही समय के बारे में। इसे न केवल श्रद्धा का अवसर माना जाता है, बल्कि यह परिवार की समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। इस दिन की पूजा के नियम और विधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

Key Takeaways

  • पूर्णिमा श्राद्ध का दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है।
  • इस दिन अभिजीत मुहूर्त का पालन करना चाहिए।
  • दान और तर्पण अनिवार्य हैं।
  • कौए, गाय और कुत्ते को भोजन कराना आवश्यक है।
  • सात्विक भोजन का महत्व ध्यान में रखें।

मुंबई, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा श्राद्ध इस रविवार को मनाई जाएगी। यह श्राद्ध पितृ पक्ष की आरंभ से ठीक एक दिन पहले आता है। इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ हो।

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा कुंभ राशि में रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:54 बजे से लेकर दोपहर 12:44 बजे तक रहेगा।

पूर्णिमा श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध भी कहा जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए समर्पित है जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह श्राद्ध पितृ पक्ष की शुरुआत से पहले एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है।

विशेषज्ञों का मानना है कि श्राद्ध के सभी अनुष्ठान अपराह्न काल (दोपहर 12 बजे के बाद से मध्य रात्रि 12 बजे के पहले) समाप्त होने चाहिए। अनुष्ठान के अंत में तर्पण करना अनिवार्य है, जो पितरों को तृप्त करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

श्राद्ध कर्म में पितरों के नाम से दान, तर्पण, और ब्राह्मण भोज कराया जाता है, और उन्हें दान-दक्षिणा दी जाती है। यह माना जाता है कि ब्राह्मणों को भोजन कराने से वह सीधे पूर्वजों तक पहुंचता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी या घर पर तर्पण किया जाता है। इस दिन सात्विक भोजन और दान का विशेष महत्व है।

श्राद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कौए (यम का दूत), गाय और कुत्ते को भोजन कराना है, क्योंकि इन्हें पूर्वजों का प्रतिनिधि माना जाता है।

यह धार्मिक अनुष्ठान न केवल पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर है, बल्कि यह परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

Point of View

मैं मानता हूं कि पूर्णिमा श्राद्ध केवल व्यक्तिगत श्रद्धा का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शाता है। यह अनुष्ठान हमें अपने पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व क्या है?
पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।
पूजा का सही समय क्या है?
पूर्णिमा श्राद्ध का सही समय अभिजीत मुहूर्त में होता है, जो सुबह 11:54 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक रहता है।
श्राद्ध के दौरान क्या करना चाहिए?
श्राद्ध के दौरान दान, तर्पण और ब्राह्मण भोज करना आवश्यक है। यह पितरों को तृप्त करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कौन से जीवों को भोजन कराना चाहिए?
श्राद्ध के दौरान कौए, गाय और कुत्ते को भोजन कराना चाहिए, क्योंकि इन्हें पूर्वजों का प्रतिनिधि माना जाता है।
सात्विक भोजन का क्या महत्व है?
पूर्णिमा श्राद्ध के दिन सात्विक भोजन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह धार्मिक अनुष्ठान के लिए उपयुक्त माना जाता है।