क्या रजनीश दुग्गल ने रक्षाबंधन की बचपन की यादें साझा कीं और इस साल कैसे मनाएंगे?

सारांश
Key Takeaways
- परिवार के बंधन: रक्षाबंधन परिवार के सदस्यों के बीच के प्रेम और बंधनों को मजबूत करता है।
- बचपन की यादें: यह त्यौहार हमें हमारे बचपन की यादों की ओर ले जाता है।
- परंपरा का महत्व: रक्षाबंधन के असली भाव को समझना और उसका सम्मान करना जरूरी है।
- समय का परिवर्तन: समय के साथ रक्षाबंधन का उत्सव बदल गया है, लेकिन इसकी भावना हमेशा बनी रहती है।
- संगठन: परिवार के एकत्र होने से उत्सव की खुशी बढ़ जाती है।
मुंबई, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। '1920', 'डेंजरस इश्क', 'वजह तुम हो', 'फिर' जैसी फिल्मों में अपने उत्कृष्ट अभिनय से पहचान बना चुके अभिनेता रजनीश दुग्गल ने खुलासा किया है कि वे इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार किस तरह मनाने वाले हैं।
अभिनेता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि इस वर्ष वे अपने घर पर ही रक्षाबंधन मनाएंगे, क्योंकि लंबे समय बाद सभी एकत्रित होने जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी साझा किया कि उनके बचपन में रक्षा बंधन का त्यौहार किस तरह मनाया जाता था। उन्होंने बताया कि उस समय किसी भी दिखावे या भव्य पार्टी पर ध्यान नहीं दिया जाता था, बल्कि परंपरा के असली सार को महत्व दिया जाता था।
रजनीश ने कहा, "मेरे लिए रक्षा बंधन ऐसा त्यौहार है जो मुझे सीधे मेरे बचपन में ले जाता है। उस समय हम सब घर पर इकट्ठा होते थे। चाची और दादी भी आती थीं और बैठकर बातें करती थीं।"
उन्होंने कहा कि जब उनकी सभी मौसी और उनके बच्चे रक्षा बंधन के दिन घर पर इकट्ठा होते थे, तो पूरा घर एक अलग ही ऊर्जा से भर जाता था।
‘वजह तुम हो’ के अभिनेता ने बताया, “जब बड़े लोग अपनी राखी की रस्में पूरी करते थे, तब हम सभी बच्चे पूरे घर या बगीचे में खेला करते थे। फिर धीरे-धीरे सभी बच्चे अंदर आते थे और अपनी राखियां बंधवाते थे।”
हालांकि, रजनीश की कोई सगी बहन नहीं है, लेकिन उन्होंने बताया कि उनके और उनके भाई की कलाई हमेशा राखियों से भरी रहती थी, और इसका कारण थीं उनकी कजिन बहनें, जो उन्हें बहुत प्यार करती हैं।
उन्होंने कहा, "हमारे लिए वहां दो और बहनें होती थीं, जो राखी बांधने का इंतजार करती थीं। मम्मी को भी मामा जी को राखी बांधनी होती थी, और हां, वही जगह थी जहां हम जाकर तब की लोकप्रिय रेसलिंग देखते और खेलते थे।"
रजनीश ने बताया कि समय के साथ रक्षा बंधन का उत्सव बदल गया है। अब उनकी ज्यादातर चचेरी बहनें अलग-अलग शहरों में रहती हैं, इसलिए राखी अब डाक से आती है। लेकिन, मुंबई में रहने वाली उनकी एक बहन अब भी सभी राखियों को उनकी कलाई पर बांधती है, जिससे बचपन की यादें जीवित रहती हैं।
रजनीश ने मजाक में कहा कि उनकी बहन को राखी बांधने के एवज में उनसे तोहफा भी मिलता है। पहले भाई लोग बहनों को नकदी के लिफाफे देते थे, जबकि बहनें सोच-समझकर चुने हुए तोहफे लाती थीं।
इस साल 9 अगस्त को रक्षा बंधन का त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा और रजनीश भी अपने परिवार के साथ इस खास पल को संजोने के लिए तैयार हैं।