क्या राकेश ओमप्रकाश मेहरा एंटरटेनमेंट के साथ सोशल मैसेज देने वाले फिल्ममेकर हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती हैं।
- उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।
- उनकी फिल्मों में गहरी भावनाएँ और प्रेरणा होती है।
- राकेश की प्रोडक्शन कंपनी नए टैलेंट को प्रोत्साहित करती है।
- वे अपनी उम्र के बावजूद नई कहानियों पर काम कर रहे हैं।
मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 'रंग दे बसंती' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्में न केवल मनोरंजन बल्कि गहरे सामाजिक संदेश भी देती हैं। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी शानदार कहानियों और संवेदनशील निर्देशन से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले राकेश ओमप्रकाश मेहरा का जन्मदिन 7 जुलाई को है।
1963 में दिल्ली में जन्मे राकेश मेहरा ने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी। उनकी फिल्मों ने न केवल देश की भावनाओं को उजागर किया, बल्कि यह भी बताया कि फिल्म एक सशक्त साधन है समाज को आईना दिखाने का। फिल्में जैसे 'दिल्ली-6', 'रंग दे बसंती' और 'भाग मिल्खा भाग' ने इस बात को साबित किया।
राकेश का बचपन दिल्ली की गलियों में बीता। उनके पिता ने नई दिल्ली के एक होटल में काम किया, और परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनकी क्रिएटिविटी का विकास हुआ। वह स्कूल में ड्रामा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते थे, लेकिन उनका असली प्यार खेल था, खासकर स्विमिंग।
1982 में जब भारत एशियन गेम्स की मेज़बानी कर रहा था, तब 19 वर्षीय राकेश ने स्विमिंग में भाग लिया। मेडल जीतने का सपना लिए वह फाइनल तक पहुंचे, लेकिन चयनित नहीं हो सके, जिसने उन्हें गहरा झटका दिया।
खेल के मैदान से बाहर निकल कर राकेश ने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा। 1980 के दशक में उन्होंने सैकड़ों विज्ञापन फिल्में बनाई। इस अनुभव ने उन्हें कहानी सुनाने का कौशल सिखाया। 2001 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'अक्स' बनाई, जिसमें अमिताभ बच्चन और मनोज बाजपेयी जैसे सितारे थे। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन राकेश की निर्देशक प्रतिभा उभरकर सामने आई।
2006 में रिलीज हुई 'रंग दे बसंती' ने उन्हें रातोंरात स्टार डायरेक्टर बना दिया। आमिर खान, सिद्धार्थ, शरमन जोशी, कुणाल कपूर, आर माधवन, सोहा अली खान जैसे सितारों से सजी यह फिल्म न केवल मनोरंजन का अनुभव देती है, बल्कि देशभक्ति और सामाजिक बदलाव का भी संदेश देती है। इसने युवा पीढ़ी पर गहरा प्रभाव डाला और कई पुरस्कार जीते।
रंग दे बसंती के बाद 2013 में मेहरा की स्पोर्ट्स बायोपिक 'भाग मिल्खा भाग' आई, जो भारतीय धावक मिल्खा सिंह की कहानी है। फरहान अख्तर ने मुख्य भूमिका निभाई। राकेश ने इस फिल्म में मिल्खा के संघर्ष को संवेदनशीलता के साथ पेश किया, जिससे दर्शक भावुक हो गए। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि कई पुरस्कार भी जीते।
राकेश ने अपनी पत्नी और फिल्म एडिटर भारती मेहरा के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में 'दिल्ली-6' और 'मिर्ज्या' शामिल हैं, जो भले ही व्यावसायिक रूप से सफल न रही हों, लेकिन कहानी और प्रस्तुति ने आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया।
आज राकेश ओमप्रकाश मेहरा भारतीय सिनेमा के उन चुनिंदा निर्देशकों में से एक हैं, जो हर फिल्म में कुछ नया और अर्थपूर्ण लाते हैं। उनकी प्रोडक्शन कंपनी रोम्प पिक्चर्स नए टैलेंट को अवसर देने के लिए जानी जाती है। 62 वर्ष की आयु में भी उनकी क्रिएटिविटी कम नहीं हुई है। वह लगातार नई कहानियों पर काम कर रहे हैं।