क्या रैपर वेदान को पुरस्कार मिलने से लेखक दीदी दामोदरन नाराज हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रैपर वेदान को विवादास्पद पुरस्कार मिला है।
- दीदी दामोदरन ने नैतिकता का सवाल उठाया है।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर समाज का ध्यान खींचा गया है।
- बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार नहीं मिला।
- इस विवाद ने सिनेमा जगत में बड़ी बहस छेड़ी है।
तिरुवनंतपुरम, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल राज्य फिल्म पुरस्कार हर वर्ष फिल्म उद्योग के उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किए जाते हैं। इस पर दर्शकों और फिल्म प्रेमियों की विशेष नजर रहती है।
इस बार के पुरस्कारों ने कुछ कलाकारों और फिल्मों को सम्मानित किया है, लेकिन इसके साथ ही कई विवादों और आलोचनाओं का भी जन्म दिया है। विशेष रूप से रैपर वेदान को बेस्ट लिरिसिस्ट के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के निर्णय ने सोशल मीडिया और फिल्म जगत में तीखी बहस छेड़ दी है।
लेखक और स्क्रीनराइटर दीदी दामोदरन ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ''यह पुरस्कार महिलाओं के प्रति हिंसा के मामलों में आरोपी व्यक्ति को सम्मानित करना न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। यह अन्याय है; यह सरकार की महिलाओं के प्रति हिंसा न सहन करने की प्रतिज्ञा का उल्लंघन है। कला की प्रशंसा करते समय नैतिक जिम्मेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।''
ज्ञात हो कि वेदान, जिनका असली नाम हिरण दास मुरली है, वर्तमान में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में जमानत पर हैं। इस मामले में दीदी दामोदरन का कहना है कि किसी ऐसे व्यक्ति को सम्मानित करना, जिसके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, न केवल पीड़ितों के लिए अपमानजनक है बल्कि समाज के लिए भी एक गलत संदेश है। जूरी द्वारा वेदान को पुरस्कार देना भरोसे का उल्लंघन है और उन्हें केरल की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।
इस बार पुरस्कारों में बच्चों की फिल्मों की श्रेणी में कोई पुरस्कार नहीं दिया गया। आयोजकों ने कहा कि इस वर्ष बच्चों की फिल्मों की गुणवत्ता इतनी अच्छी नहीं थी कि उन्हें पुरस्कार देने लायक माना जा सके। इस निर्णय ने बच्चों की फिल्मों से जुड़े कलाकारों और दर्शकों को निराश किया।
रैपर वेदान को यह पुरस्कार उनकी फिल्म 'मंजुम्मेल बॉयज' के गीत 'कुथंत्रम' के लिए दिया गया।
महिला संगठन भी इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए सरकार की उन प्रतिज्ञाओं का हवाला दे चुके हैं, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को संरक्षण नहीं मिलेगा।
इस विवाद के कारण लोग फिल्म पुरस्कारों के आयोजन और निर्णय प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं।