क्या शहीद अरुण खेत्रपाल की जयंती पर 'इक्कीस' का मोशन पोस्टर जारी हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- अरुण खेत्रपाल की वीरता पर आधारित फिल्म 'इक्कीस'
- 1971 के युद्ध की पृष्ठभूमि
- सैन्य सम्मान परमवीर चक्र
- फिल्म का निर्देशन श्रीराम राघवन ने किया है
- प्रमुख भूमिकाओं में अगस्त्या नंदा और धर्मेंद्र
मुंबई, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। परमवीर चक्र विजेता शहीद अरुण खेत्रपाल की जयंती के अवसर पर, मैडॉक फिल्म्स ने मंगलवार को फिल्म 'इक्कीस' का मोशन पोस्टर जारी किया। यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के जीवन पर आधारित है, जिन्हें उनकी अदम्य वीरता के लिए भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था।
मैडॉक फिल्म्स ने इंस्टाग्राम पर मोशन पोस्टर साझा करते हुए लिखा, "अरुण खेत्रपाल की जयंती पर, हम गर्व के साथ 'इक्कीस' की शूटिंग पूरी होने की घोषणा करते हैं। यह फिल्म हमेशा हमारे दिलों में रहेगी। दिनेश विजान और मैडॉक फिल्म्स प्रस्तुत करते हैं 'इक्कीस', जिसका निर्देशन श्रीराम राघवन ने किया है। यह भारत के सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता की सच्ची और अनकही कहानी है। यह फिल्म दिसंबर 2025 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी।"
पोस्टर में अभिनेता अगस्त्या नंदा सैन्य वर्दी में नजर आ रहे हैं, जो अरुण खेत्रपाल की भूमिका में हैं। पोस्टर पर लिखा गया है, "वह इक्कीस का था, इक्कीस का रहेगा।"
इस पोस्टर को अभिनेता अभिषेक बच्चन ने भी अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर साझा कर फिल्म के प्रति उत्साह व्यक्त किया।
'इक्कीस' का निर्देशन प्रसिद्ध फिल्मकार श्रीराम राघवन ने किया है, जबकि इसका निर्माण दिनेश विजान और मैडॉक फिल्म्स ने किया है। इस फिल्म में अगस्त्या नंदा के साथ धर्मेंद्र और जयदीप अहलावत भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आएंगे।
यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है और अरुण खेत्रपाल की शौर्यगाथा को पर्दे पर जीवंत करेगी।
सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल 13 जून 1971 को 17 पूना हॉर्स रेजिमेंट में शामिल हुए। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी रेजिमेंट 47वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड के अधीन थी। बसंतर के युद्ध में खेत्रपाल ने अद्भुत साहस का प्रदर्शन किया।
युद्ध के दौरान, अरुण खेत्रपाल ने अपने टैंक से पाकिस्तानी सेना के 10 टैंकों को नष्ट किया। इस दौरान उनके साथियों के टैंकों को भारी नुकसान हुआ और कई सैनिक शहीद हो गए। फिर भी, खेत्रपाल ने हार नहीं मानी। घायल होने के बावजूद उन्होंने दुश्मनों पर हमला जारी रखा।
उनके अंतिम शब्द, जो रेडियो पर रिकॉर्ड हुए, में वह कहते हैं, "नहीं सर, मैं अपने टैंक को नहीं छोड़ूंगा। मेरी मेन गन अभी भी काम कर रही है, और मैं इन लोगों को जरूर मार गिराऊंगा।"
16 दिसंबर 1971 को बसंतर के युद्ध में अरुण खेत्रपाल शहीद हो गए। उस समय उनकी उम्र केवल 21 वर्ष थी। उनकी इस वीरता के लिए भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया।