क्या 'याहू' की गूंज छोड़ गए शम्मी कपूर? एक डिनर ने बदल दी थी उनकी किस्मत

सारांश
Key Takeaways
- शम्मी कपूर का असली नाम शमशेर राज कपूर था।
- उनकी फिल्म 'तुमसा नहीं देखा' ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई।
- डिनर टेबल पर बातचीत ने उनके करियर को मोड़ दिया।
- उन्होंने 1955 में गीता बाली से शादी की।
- उनकी आखिरी फिल्म 'रॉकस्टार' थी।
मुंबई, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड में कुछ अभिनेता ऐसे हैं जो अपनी जिंदादिली के कारण आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। शम्मी कपूर भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने 'याहू' की गूंज के साथ भारतीय सिनेमा में रौनक भरी। उनका डांस, उनका स्टाइल और उनका बेबाकपन उस समय के अन्य अभिनेताओं से भिन्न था, और यही कारण है कि वे हमेशा भीड़ से अलग खड़े नजर आते थे।
शम्मी कपूर को 1957 में रिलीज हुई फिल्म 'तुमसा नहीं देखा' से प्रसिद्धि मिली, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह फिल्म पहले देव आनंद के पास थी। जब देव आनंद ने नई अभिनेत्री अमीता के साथ काम करने से मना कर दिया, तब निर्देशक नासिर हुसैन ने शम्मी कपूर को मौका दिया। हालांकि, उस समय नासिर को उन पर विश्वास नहीं था, लेकिन एक रात डिनर टेबल पर बातचीत ने सब कुछ बदल दिया, और वही डिनर उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।
शम्मी कपूर का जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में हुआ था। उनका असली नाम शमशेर राज कपूर था। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर पहले से ही थिएटर और फिल्मों में नाम कमा चुके थे, जबकि उनके भाई राज कपूर उस समय उद्योग के उभरते सितारे थे। शम्मी की प्रारंभिक पढ़ाई कोलकाता में हुई, जहाँ उनके पिता थिएटर करते थे। जब परिवार मुंबई लौटा, तो शम्मी भी पृथ्वी थिएटर से जुड़े और यहीं से उन्होंने अभिनय की शुरुआत की।
बचपन में उन्होंने क्लासिकल म्यूजिक सीखा लेकिन उनकी रुचि वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ थी, जिसका प्रभाव उनके डांसिंग स्टाइल में स्पष्ट था।
उनका फिल्मी करियर 1953 में 'जीवन ज्योति' से शुरू हुआ, लेकिन 18 फिल्मों की निरंतर असफलता ने उन्हें निराश किया। फिर 1957 में आई फिल्म 'तुमसा नहीं देखा' ने उनकी किस्मत बदल दी।
शम्मी कपूर की बायोग्राफी 'शम्मी कपूर: द गेम चेंजर' के लेखक रऊफ अहमद के अनुसार, इस फिल्म के लिए पहले देव आनंद को साइन किया गया था, लेकिन उन्होंने अमीता के साथ काम करने से मना कर दिया। निर्देशक नासिर हुसैन शुरू में शम्मी को लीड रोल में नहीं लेना चाहते थे, लेकिन शम्मी ने उन्हें डिनर पर ले जाकर बातचीत की, जिसने निर्देशक की सोच बदल दी।
फिल्म बनी, रिलीज हुई, और शम्मी कपूर की किस्मत पलट गई।
1959 की 'दिल देके देखो' और 1961 की 'जंगली' ने शम्मी कपूर को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। 'जंगली' का गाना 'याहू!' आज भी भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार गाना है, जिसे लोग जोश के साथ गाते हैं। इसके बाद 'प्रोफेसर' (1962), 'कश्मीर की कली' (1964), 'जानवर' (1965), 'तीसरी मंजिल' (1966), और 'ब्रह्मचारी' (1968) जैसी फिल्मों ने शम्मी कपूर को 60 के दशक का स्टाइलिश और एनर्जेटिक हीरो बना दिया।
'ब्रह्मचारी' (1968) में उनके शानदार अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, चोटों और स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें धीमा कर दिया। फिल्म 'राजकुमार' की शूटिंग के दौरान हाथी की टक्कर से उनका पैर टूट गया, जिसके कारण उन्हें लंबे समय तक आराम करना पड़ा।
1970 के दशक में शम्मी ने सहायक भूमिकाएं निभाना शुरू किया। 'विधाता' (1982) में उनके रोल को खूब सराहा गया और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला।
व्यक्तिगत जीवन में, 1955 में शम्मी कपूर ने अभिनेत्री गीता बाली से शादी की। रऊफ अहमद के अनुसार, उम्र में अंतर के कारण गीता को डर था कि माता-पिता इस शादी के लिए राजी नहीं होंगे। उन्होंने जॉनी वॉकर की मदद ली, जो खुद नूरजहां से गुपचुप शादी कर चुके थे। शम्मी गीता से शादी के लिए इतने उत्सुक थे कि मंदिर में जल्दी में सिंदूर लाना भूल गए और गीता की मांग लिपस्टिक से भरी।
शम्मी कपूर की आखिरी फिल्म 'रॉकस्टार' थी, जो 2011 में रिलीज हुई। इसमें रणबीर कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई। इस फिल्म में उन्होंने उस्ताद जमील खान का किरदार निभाया। 11 नवंबर को फिल्म रिलीज हुई, लेकिन 14 अगस्त 2011 को किडनी फेल होने से शम्मी कपूर का निधन हो गया।