क्या शेखर कपूर ने श्रीदेवी को उनकी जन्म जयंती पर याद किया?

सारांश
Key Takeaways
- श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को हुआ था।
- फिल्म 'मिस्टर इंडिया' उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म है।
- शेखर कपूर ने उन्हें उनकी जन्म जयंती पर याद किया।
- उनकी यादें आज भी दर्शकों के दिलों में हैं।
- श्रीदेवी का निधन 24 फरवरी 2018 को हुआ।
मुंबई, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री श्रीदेवी ने फिल्म इंडस्ट्री में एक अद्वितीय स्थान हासिल किया था। यद्यपि वह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, गाने और फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में ज़िंदा हैं। हर साल 13 अगस्त को उनकी जन्म जयंती का उत्सव मनाया जाता है। इसी मौके पर फिल्ममेकर शेखर कपूर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
फिल्म 'मिस्टर इंडिया' की प्रमुख नायिका और दिवंगत अदाकारा श्रीदेवी को याद करते हुए शेखर कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें श्रीदेवी को 'मिस्टर इंडिया' फिल्म के उनके लुक में देखा जा सकता है।
तस्वीर के कैप्शन में शेखर कपूर ने लिखा, "एक पत्रकार ने मुझसे कहा- आज श्रीदेवी का जन्मदिन है, क्या आप हमें इस बारे में कुछ बता सकते हैं? मैंने उस पत्रकार से पूछा, आपके पास कितना समय है? उसने उत्तर दिया जितना आपको चाहिए। मैंने कहा- 'पूरी ज़िंदगी', इतना समय है आपके पास।"
उनकी इस पोस्ट पर फैंस का उत्साह और प्यार देखने को मिल रहा है।
एक फैन ने कहा, "ब्यूटीफुल।"
दूसरे फैन ने कहा, "भारत की पहली मेगास्टार श्रीदेवी।"
अन्य फैन्स ने कमेंट्स के जरिए श्रीदेवी को श्रद्धांजलि दी।
'मिस्टर इंडिया' में शेखर कपूर और श्रीदेवी ने मिलकर काम किया था। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है। श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को हुआ और उनकी मौत 24 फरवरी 2018 को दुबई में हुई।
शेखर कपूर ने इससे पहले एक्स पर लिखा था, "नायक/नायिका की ताकत हमेशा इस बात से तय होती है कि खलनायक कितना शक्तिशाली है। जीवन में भी यही बात लागू होती है। आपकी उपलब्धियां इस बात से तय होती हैं कि आप कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं।"
उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर के माध्यम से सफलता, असफलता और आत्ममूल्यांकन के असली अर्थ पर भी चर्चा की थी।
शेखर कपूर ने सोशल मीडिया पर लिखा, "सागर के नीचे की लहर ऊपर उठने की कोशिश करती है और ऊपरी लहर फिर नीचे गिर जाती है। यह सिर्फ समय की बात है। आपके समय का अनुभव कितना लंबा है? सफलता और असफलता के बीच का समय आप कैसे देखते हैं?"
उन्होंने बताया कि फिल्म मेकर्स समय के साथ खेलते हैं, जैसे स्लो-मोशन में समय को खींचना। फिर भी वे अपना मूल्यांकन दूसरों की नजरों के हिसाब से करते हैं, जो खुद भी दूसरों की नजरों में अपनी कीमत तलाशते हैं।
उन्होंने कहा, "सफलता, आत्ममूल्यांकन और असफलता... ये सब आपकी अपनी धारणा है।"
शेखर का मानना है कि असफलता कोई बाहरी हकीकत नहीं है, बल्कि यह खुद पर किया गया एक फैसला है। जो लोग खुद को जज करते हैं, उन्हें ही दूसरों की नजरों में आकलन का डर सताता है।