क्या श्रिया पिलगांवकर ऑल लिविंग थिंग्स एनवायर्नमेंटल फिल्म फेस्टिवल की जूरी सदस्य बनी हैं? 4 दिसंबर से मुंबई में होगा आगाज

सारांश
Key Takeaways
- ऑल लिविंग थिंग्स एनवायर्नमेंटल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 4 दिसंबर से मुंबई में होगा।
- फेस्टिवल में पर्यावरण से जुड़ी फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी।
- श्रिया पिलगांवकर और पान नलिन जूरी में शामिल हैं।
- फिल्मों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जागरूकता बढ़ाना भी है।
- यह फेस्टिवल 11 दिनों तक चलेगा, जिसमें संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मुंबई, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पर्यावरण और सिनेमा का संगम मनाने वाला ऑल लिविंग थिंग्स एनवायर्नमेंटल फिल्म फेस्टिवल इस साल अपने छठे संस्करण के साथ लौट रहा है। यह 11 दिवसीय फिल्म फेस्टिवल 4 दिसंबर से प्रारंभ होकर दुनियाभर की उन फिल्मों का प्रदर्शन करेगा, जो पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, संरक्षण और टिकाऊ जीवन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालेंगी।
इस साल फेस्टिवल की शुरुआत मुंबई में होगी और इसका समापन 14 दिसंबर को होगा। इस बार अभिनेत्री श्रिया पिलगांवकर और अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक पान नलिन को फेस्टिवल की जूरी में शामिल किया गया है।
जूरी सदस्य के रूप में अपनी भूमिका को लेकर श्रिया पिलगांवकर ने खुशी जताई और राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "फेस्टिवल का हिस्सा बनना मेरे लिए बेहद खास है। अक्सर कलाकार यह बात करते हैं कि सिनेमा में लोगों को जोड़ने की ताकत होती है, लेकिन यह फेस्टिवल उस ताकत का उपयोग जागरूकता और संवेदना बढ़ाने के लिए करता है, जिससे समाज में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है।"
श्रिया का मानना है कि पर्यावरण का मुद्दा हमारी रोजमर्रा की जिंदगी, स्वास्थ्य और भविष्य से सीधे जुड़ा हुआ है।
उन्होंने आगे कहा, "यह फेस्टिवल मुझे याद दिलाता है कि कहानियों में वह शक्ति होती है जो सोच को बदल सकती है, दिमाग खोल सकती है, और हमें प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का एहसास करा सकती है।"
श्रिया ने बताया कि जूरी की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने कई प्रभावशाली फिल्में देखीं, जो नए नजरिए से सोचने और सीखने का मौका देती हैं।
बता दें कि इस फेस्टिवल में फीचर फिल्में, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स, और स्टूडेंट पर आधारित फिल्में दर्शकों के सामने लायी जाएंगी। इन सभी फिल्मों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि दर्शकों को प्रेरित करना, सोचने पर मजबूर करना और प्रकृति से जुड़ने का एहसास कराना है।