क्या 90 के दशक के बाद अब शान के साथ भजनों को गाना भावनात्मक रूप से बेहद खास है?
सारांश
Key Takeaways
- भक्ति संगीत भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- सोनू निगम और शान के साथ भजन गाना एक अनोखा अनुभव है।
- टी-सीरीज की मिक्सटेप भक्ति ने भक्ति संगीत को नया स्वरूप दिया है।
मुंबई, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय संगीत की दुनिया में भक्ति संगीत हमेशा से लोगों के दिलों के करीब रहा है। समय के साथ संगीत के स्वरूप और प्रस्तुति में बदलाव आया है, लेकिन भक्ति का सार हमेशा एक समान बना रहा है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, टी-सीरीज और भूषण कुमार की 'मिक्सटेप भक्ति' सीरीज ने लोगों को नई और आधुनिक धुनों के साथ पुराने भजनों का अनुभव कराया है।
अब इस सीरीज का फाइनल एपिसोड भगवान शिव को समर्पित किया गया है, जिसमें गायक सोनू निगम और शान ने मिलकर भजन गाए हैं। दोनों की आवाज ने भक्ति संगीत में मधुरता घोल दी है। पुराने समय के शिव भजनों को आधुनिक संगीत के साथ पेश किया गया है।
इस एपिसोड में भजनों को आध्यात्मिक गहराई और भावनात्मक जुड़ाव के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिससे भक्ति का अनुभव भी मिलता है और संगीत का आनंद भी।
सोनू निगम ने इस खास अवसर पर कहा, "शान के साथ भजन गाना मेरे लिए वाकई शानदार अनुभव रहा। मैं 90 के दशक की शुरुआत में टी-सीरीज से इन भजनों के जरिए जुड़ा रहा हूं। ये भजन उसी समय रिकॉर्ड किए गए थे। इतनी सालों बाद शान के साथ इन्हीं भजनों को गाना व्यक्तिगत और भावनात्मक रूप से बेहद खास था।"
सोनू ने कहा कि इस बार भजनों को ऐसे रूप में पेश किया गया है जो आज के समय के अनुसार सहज है। सोनू ने टी-सीरीज और भूषण कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने भजनों को नया रूप देने में काफी मदद की।
शान ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "भजन गाने में अलग ही खुशी मिलती है। खासकर सोनू निगम जैसे कलाकार के साथ यह अनुभव और भी खास बन जाता है, क्योंकि उनके भाव और संगीत की समझ बेहद अलग है। हमने हर सुर में श्रद्धा और उत्सव का भाव डालने की पूरी कोशिश की है, ताकि भजन सुनने वालों तक वही भाव पहुंच सके, जो हमने गाते समय महसूस किया। भक्ति संगीत सिर्फ सुर और ताल का मेल नहीं है, बल्कि यह आत्मा को छूने वाला अनुभव है।"