क्या एक शादी ने ट्यूलिप जोशी का फिल्मी सफर बदल दिया?

सारांश
Key Takeaways
- ट्यूलिप जोशी का फिल्मी सफर एक शादी से शुरू हुआ।
- उन्होंने कई भाषाओं में फिल्मों में अभिनय किया।
- उनकी फिल्म 'मातृभूमि' ने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उजागर किया।
- ट्यूलिप ने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बनाकर बिजनेस में कदम रखा।
- वह एक सफल एस्ट्रोलॉजर भी हैं।
मुंबई, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड की चमक-धमक भरी दुनिया में कई ऐसे चेहरे होते हैं, जो अपनी पहली फिल्म से ही दर्शकों के दिलों में जगह बना लेते हैं। हालांकि, कुछ सितारे ऐसे भी होते हैं जिनकी शुरुआत तो शानदार होती है, लेकिन उनका सफर बहुत लंबा नहीं चलता। ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं ट्यूलिप जोशी। जब वह अपनी मासूमियत भरी मुस्कान और सादगी से भरे चेहरे के साथ पहली बार स्क्रीन पर आईं, तो दर्शकों ने उन्हें दिल से अपनाया। उनका फिल्मी सफर, खासकर डेब्यू की कहानी बहुत दिलचस्प है।
ट्यूलिप जोशी का जन्म 11 सितंबर 1980 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता एक गुजराती हिंदू थे और मां अर्मेनियाई-लेबनानी ईसाई थीं, जिसके परिणामस्वरूप उनका लालन-पालन एक मिश्रित संस्कृति में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल से प्राप्त की और उसके बाद फूड साइंस तथा केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। उनकी हमेशा से मॉडलिंग में रुचि थी और कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने कई विज्ञापनों में काम करना शुरू कर दिया था। साल 2000 में उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया, हालांकि वह फाइनल तक नहीं पहुंच सकीं। लेकिन, उनकी खूबसूरती और आत्मविश्वास ने उन्हें मॉडलिंग की दुनिया में पहचान दिलाई।
ट्यूलिप की किस्मत तब पलटी जब वह एक शादी में गईं। यह शादी फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा और उनकी पहली पत्नी पायल खन्ना की थी। पायल, ट्यूलिप की करीबी दोस्त थीं और उसी वजह से वह इस शादी में शामिल हुईं। पार्टी में ट्यूलिप की खूबसूरती ने आदित्य का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद उन्हें यशराज फिल्म्स की एक रोमांटिक फिल्म 'मेरे यार की शादी है' के लिए ऑडिशन दिया गया।
ट्यूलिप ने ऑडिशन दिया और उन्हें फिल्म में लीड एक्ट्रेस का रोल मिला। साल 2002 में रिलीज हुई 'मेरे यार की शादी है' ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। फिल्म में उन्होंने उदय चोपड़ा और जिमी शेरगिल के साथ प्रदर्शन किया। फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा और ट्यूलिप की मासूमियत को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। हालांकि, उन्हें हिंदी बोलने में थोड़ी कठिनाई होती थी, इसलिए उन्हें फिल्म के लिए हिंदी की ट्यूशन भी लेनी पड़ी।
इंडस्ट्री में कदम रखते ही उन्हें सलाह दी गई कि ट्यूलिप नाम बहुत विदेशी लगता है, इसलिए उन्होंने कुछ समय के लिए नाम 'अंजलि' भी अपना लिया, लेकिन इससे उन्हें करियर में ज्यादा फायदा नहीं मिला।
'मेरे यार की शादी है' के बाद ट्यूलिप ने 'दिल मांगे मोर', 'धोखा', 'मातृभूमि', 'सुपरस्टार', 'बच्चन', 'जट्ट एयरवेज', और 'जय हो' जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने न केवल हिंदी, बल्कि पंजाबी, कन्नड़, मलयालम और तेलुगू फिल्मों में भी अभिनय किया।
दर्शकों ने उनकी फिल्म 'मातृभूमि' को भी बहुत पसंद किया। यह फिल्म महिला भ्रूण हत्या और भारत में महिलाओं की गिरती संख्या जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उजागर करती है। फिल्म दिखाती है कि महिला शिशु हत्या के चलते भारत के एक गांव में कोई भी महिला नहीं बची है। इसके परिणामस्वरूप पुरुषों की हताशा, हिंसा और क्रूरता में बदल जाती है। फिल्म में ट्यूलिप ने कलकी नाम की महिला का किरदार निभाया है, जिसे एक अमीर इंसान रामचरण अपने पांच बेटों के लिए पत्नी के रूप में खरीदता है और बाद में उसका शारीरिक शोषण करता है। फिल्म में बलात्कार, घरेलू हिंसा और स्त्री की वस्तु के रूप में खरीद-फरोख्त को एक अलग नजरिए से दिखाया गया है।
ट्यूलिप की निजी जिंदगी भी काफी चर्चा में रही। फिल्मों के दौरान उनकी मुलाकात कैप्टन विनोद नायर से हुई, जिन्होंने भारतीय सेना में सेवा देने के बाद बिजनेसमैन बनने का निर्णय लिया। दोनों के बीच दोस्ती हुई और यह रिश्ता प्यार में बदल गया। करीब चार साल तक दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और फिर शादी कर ली। शादी के बाद ट्यूलिप ने फिल्मों से दूरी बना ली और अपने पति के साथ बिजनेस में शामिल हो गईं।
विनोद नायर ने 'किंमया' नाम की एक मैनेजमेंट और ट्रेनिंग कंसल्टिंग कंपनी की स्थापना की, जिसमें ट्यूलिप जोशी डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, वह एक एस्ट्रोलॉजर भी हैं।