क्या विद्या बालन ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कारीगरी को बढ़ावा देने की अपील की?

सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को मनाया जाता है।
- विद्या बालन ने भारतीय कारीगरों को समर्थन देने का आग्रह किया।
- हथकरघा उत्पाद हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
- सिल्क मार्क लेबल वाले कपड़ों को खरीदने की सलाह दी गई है।
- हथकरघा उद्योग बुनकरों की आजीविका का स्रोत है।
मुंबई, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री विद्या बालन ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर भारत की समृद्ध कला और हथकरघा उद्योग को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की हथकरघा परंपरा अत्यंत प्राचीन और विशेष है, जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। इससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहेगी और कारीगरों का समर्थन भी होगा।
विद्या बालन ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह एक स्थान पर गई हैं जहाँ हाथ से बने शुद्ध रेशम का निर्माण किया जाता है। इस वीडियो के माध्यम से उन्होंने लोगों से भारतीय बुनकरों की सहायता करने की अपील की। विशेष रूप से, उन्होंने उन कपड़ों को अपनाने की सिफारिश की जिन पर असली सिल्क मार्क लेबल हो। इसके अलावा, उन्होंने अपनी संस्कृति पर गर्व करने और देश की पारंपरिक कारीगरी को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
वीडियो में विद्या बालन बुनाई की प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक देख रही हैं और कारीगरों से बातचीत कर रही हैं ताकि वे उनके कौशल को बेहतर तरीके से समझ सकें।
वीडियो साझा करते समय विद्या बालन ने लिखा, "आज जब हम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहे हैं, चलिए हम अपने बुनकरों का सम्मान करें। अपनी पहचान और सांस्कृतिक विरासत को अपनाएं। हमारे हाथ से बने शुद्ध रेशम को प्रोत्साहित करें और हमेशा सिल्क मार्क वाला रेशम खरीदें।"
ज्ञात हो कि हर वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है ताकि भारत के बुनकरों के महत्वपूर्ण योगदान और हथकरघा उद्योग की धरोहर को याद किया जा सके। यह दिन 1905 में शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन की याद दिलाता है, जिसमें लोगों से ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार और हाथ से बने कपड़ों को अपनाने की अपील की गई थी।