क्या आरोग्य रक्षक पंचतंत्र से स्वस्थ रह सकते हैं हम?
सारांश
Key Takeaways
- दैनिक दो बार खाना पाचन के लिए अच्छा है।
- पर्याप्त पानी पीने से शरीर डिटॉक्स होता है।
- नियमित व्यायाम से मानसिक तनाव कम होता है।
- उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
- ध्यान से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
नई दिल्ली, 9 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में, शरीर और मन को स्वस्थ रखना एक चुनौती बन गया है। लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धति में हर समस्या का समाधान मौजूद है। इसी क्रम में, आरोग्य रक्षक पंचतंत्र एक प्रभावी उपाय है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए ‘आरोग्य रक्षक पंचतंत्र’ (एआरपी) को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सिफारिश की है। यह कोई साधारण सलाह नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित एक पाँच आदतों का समूह है, जो शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
आज के वैज्ञानिक युग में भी ये सिद्धांत निवारक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में अपनी प्रभावशीलता साबित कर रहे हैं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, एआरपी को अपनाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है। ये आदतें सरल हैं और रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल की जा सकती हैं।
मंत्रालय इन पाँच आदतों के बारे में विस्तार से बताता है। पहली आदत है, दिन में दो बार भोजन करना; अधिक भोजन करने से शरीर पर बोझ बढ़ता है। दिन में केवल दो बार पौष्टिक भोजन से पाचन तंत्र सुचारु रहता है।
दूसरी बात है कि हाइड्रेटेड रहें। शरीर को पर्याप्त पानी मिलना आवश्यक है। भरपूर पानी पीने से शरीर डिटॉक्स होता है और त्वचा भी स्वस्थ रहती है।
तीसरी आदत है व्यायाम। हर दिन थोड़ा व्यायाम जैसे टहलना, योग या हल्की कसरत मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
चौथी आदत में उपवास या व्रत शामिल करना है। सप्ताह में एक दिन उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और डायबिटिज जैसी बीमारियों का जोखिम कम होता है।
पांचवीं आदत के रूप में ध्यान या प्रार्थना करने की आदत डालें। सुबह-शाम प्रार्थना करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।
इन पाँच आदतों को जीवन में शामिल करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और मानसिक स्थिरता भी बढ़ती है। एक्सपर्ट के अनुसार, एआरपी आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलकर रोगों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।