क्या एम्स के डॉक्टर डॉ. पीयूष रंजन ने कहा कि पपीते का जूस प्लेटलेट्स नहीं बढ़ाता?

सारांश
Key Takeaways
- डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होती है।
- पपीते का जूस प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद नहीं करता।
- स्वच्छ जल का सेवन करें।
- खाने से पहले और बाद में हाथ धोएं।
- जलजनित बीमारियों से बचने के उपाय अपनाएं।
नई दिल्ली, ८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एम्स के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. पीयूष रंजन ने सोशल मीडिया पर फैल रहे उन मिथकों को नकारा है, जिनमें दावा किया गया है कि पपीते का जूस या उसके पत्तों का जूस डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक होता है। डेंगू के समय प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं, जिससे कई मरीज चिंता में रहते हैं और बिना चिकित्सक की सलाह के स्वयं उपचार करने लगते हैं। मरीज अक्सर प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते का जूस, पपीते की छाल का उपयोग करते हैं, साथ ही बकरी का दूध, हर्बल उत्पाद और डाइटरी सप्लीमेंट लेते हैं।
डॉ. ने बताया कि जब प्लेटलेट्स की संख्या < १०,००० होती है, तब इसे बढ़ाने की आवश्यकता होती है। मंगलवार को राष्ट्र प्रेस से संवाद करते हुए, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पीयूष रंजन ने जलजनित बीमारियों से बचाव के उपाय साझा किए। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में संक्रमण से बचने के लिए केवल स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करना आवश्यक है। हमेशा ध्यान रखें कि आप जो पानी पी रहे हैं, वह साफ हो। यदि आपको उसकी शुद्धता पर संदेह है, तो इसे उबालकर ठंडा करके ही पीएं।
उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में अक्सर फ्लू होता है, जिसमें बुखार और बदन दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। यदि बुखार तेज है और सिरदर्द लगातार बना हुआ है, तो यह डेंगू का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, यदि बुखार दवा लेने के चार से पांच घंटों में कम हो रहा है, तो मलेरिया होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
डॉक्टर के अनुसार, जलजनित बीमारियों (जैसे टाइफाइड, डायरिया, डेंगू, मलेरिया) से बचाव के लिए कुछ उपाय अपनाएं। हमेशा उबाला हुआ, फिल्टर किया हुआ या बोतलबंद पानी ही पिएं। पानी को ढककर साफ बर्तन में रखें, ताकि वह दूषित न हो। खाना खाने, शौच के बाद और पानी छूने से पहले साबुन से अच्छे से हाथ धोएं। बच्चों को भी नियमित हाथ धोने की आदत डालें। खाना अच्छी तरह पकाकर खाएं और कच्चे या अधपके भोजन से बचें। फल और सब्जियों को साफ पानी से धोकर ही उपयोग करें। खुले में या बासी खाना न खाएं। कुओं, नदियों या तालाबों के पास शौच न करें। पानी के स्रोतों को नियमित साफ करें और क्लोरीन टैबलेट का उपयोग करें। घर के आस-पास पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों और बैक्टीरिया के पनपने का कारण बनता है। नालियों को ढककर रखें और नियमित सफाई करें।
इसके अलावा, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों से जलजनित बीमारियों की जानकारी लें। खुले में शौच न करें, स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें। शौचालय को नियमित साफ और कीटाणुरहित करें। इन उपायों को अपनाकर जलजनित बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। यदि लक्षण (जैसे दस्त, उल्टी, बुखार) दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।