क्या आयुर्वेद अब केवल मानवों के लिए नहीं, पशुओं के लिए भी है: आईटीआरए निदेशक डॉ. तनुजा निसरी?

सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद का उपयोग: मानव और पशुओं दोनों के लिए फायदेमंद।
- डिजिटल रूपांतरण: आयुर्वेद में तकनीक का समावेश।
- पशु चिकित्सा: आयुर्वेद का एक नया क्षेत्र।
- वैश्विक मान्यता: आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है।
- संस्थान की पहल: शोध और विकास में नवाचार।
जामनगर, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद दिवस के अवसर पर गुजरात के जामनगर में स्थित आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) ने कई सफल कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस संबंध में आईटीआरए निदेशक डॉ. तनुजा निसरी ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी साझा की।
डॉ. तनुजा ने बताया कि यह संस्थान मानव से लेकर पशुओं तक, अनुसंधान से लेकर तकनीक तक, आयुर्वेद के माध्यम से सर्वांगीण विकास के लक्ष्य के लिए कार्यरत है। तकनीक की सहायता से आयुर्वेद के क्षेत्र में नए आधुनिक युग के कदम और आयुर्वेद तथा पशु चिकित्सा (वेटरिनरी) विज्ञान के अभिनव संगम से यह प्रक्रिया सरल हो गई है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 23 सितंबर को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया है। इस दिन को मनाने के लिए एक महीने पहले से ही विभिन्न और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाए गए। यह उत्सव जामनगर स्थित आयुर्वेद शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा भी मनाया गया, जिसने विशेष गतिविधियों के माध्यम से इस वर्ष के आयुर्वेद दिवस की थीम 'आयुर्वेद जन-जन के लिए और पृथ्वी के कल्याण के लिए' को सही मायने में साकार किया।
आईटीआरए की दो महत्वपूर्ण पहल ने आयुर्वेद के क्षेत्र में अभिनव कार्यों के साथ विकास की एक नई दिशा खोली। आयुर्वेद का डिजिटल रूपांतरण: परंपरा और प्रौद्योगिकी के बीच एक सेतु आईटीआरए में 'आयुर्वेद का डिजिटल रूपांतरण: परंपरा और प्रौद्योगिकी के बीच एक सेतु' शीर्षक से एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के जीटीएमसी निदेशक सहित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और भविष्य को लेकर मंथन कर एक नई रूपरेखा तैयार की गई।
प्राचीनतम विज्ञान आयुर्वेद में आधुनिकता के संगम, पारंपरिक चिकित्सा एवं वैश्विक पुस्तकालय, आयुर्वेद में तकनीकी नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा में डिजिटल पहल, पारंपरिक चिकित्सा में एआई का उपयोग, आयुर्वेद के क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा पहल जैसे प्रमुख विषयों पर विज्ञान-प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास हेतु किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा एवं परामर्श कर भविष्य की योजनाएं तैयार की गईं।
आयुर्वेद एवं पशु चिकित्सा का संगम अर्थात 'मृगआयुर्वेद'। आयुष मंत्रालय ने पशु चिकित्सा स्वास्थ्य में आयुर्वेद विषय के लिए आईटीआरए को देश का एकमात्र नोडल संस्थान चुना है। आईटीआरए निदेशक प्रो. डॉ. तनुजा नेसरी का कहना है कि आयुर्वेद एवं पशु चिकित्सा विज्ञान विषय पर पूरे देश में पहली बार आयोजित होने वाले इस सेमिनार में 'आयुर्वेद पृथ्वी के कल्याण के लिए है, लोगों के लिए' को केंद्रीय मुद्दा बनाया गया।
आयुर्वेद के शास्त्रों और ग्रंथों में पशु चिकित्सा का उल्लेख है और इस पर उपचार भी किया जा रहा है। गौआयुर्वेद, हस्तआयुर्वेद, पालकाप्य संहिता, मातंगलीला, शालिहोत्र संहिता जैसे ग्रंथों में पशु चिकित्सा की अत्यधिक अनुशंसा की गई है, जिसमें न केवल रोगों का उपचार बल्कि पशुओं को स्वस्थ रखने के आयुर्वेदिक उपचार भी दर्शाए गए हैं।