क्या बच्चों में दूध की कमी शारीरिक विकास में बाधक है? ऐसे बढ़ाएं प्रोटीन-कैल्शियम की मात्रा

सारांश
Key Takeaways
- दूध बच्चों के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है।
- दूध का सेवन न करने पर अन्य पौष्टिक विकल्प उपलब्ध हैं।
- दालें और सूखे मेवे प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।
- आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां दूध की कमी को पूरा कर सकती हैं।
- मांसाहार भी प्रोटीन की कमी को दूर करने में सहायक है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दूध शरीर के लिए उतना ही आवश्यक है जितना भोजन। हर उम्र के लोगों के लिए दूध का सेवन आवश्यक है, लेकिन कुछ बच्चे इसे पीने से हिचकिचाते हैं या लैक्टोज असहिष्णुता (डेयरी उत्पादों से संबंधित एलर्जी) के कारण दूध नहीं पी पाते।
इसके परिणामस्वरूप बच्चों के शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। दूध में प्रोटीन, भरपूर मात्रा में कैल्शियम और बी12 होता है। यदि बच्चे दूध का सेवन नहीं करते हैं, तो उन्हें हड्डियों से संबंधित समस्याएं, कुछ त्वचा संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों की कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी और पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।
इस स्थिति में, बच्चों को दूध के स्थान पर अन्य खाद्य पदार्थों के माध्यम से कैल्शियम और प्रोटीन की पूर्ति की जा सकती है। दालें हमारे भोजन का एक प्रमुख स्रोत हैं, जिनमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए, बच्चों को दालों से बनी चीजें दी जा सकती हैं। विशेष रूप से हरी मूंग दाल, मसूर दाल, और काले और सफेद चने का इस्तेमाल किया जा सकता है। साबुत दालों को अंकुरित कर चाट के रूप में बच्चों को दिया जा सकता है, या दाल और चने के कबाब भी बनाए जा सकते हैं।
इसके अलावा, सूखे मेवे भी प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत होते हैं। बादाम, अखरोट, चिया सीड्स, और खरबूज के बीज में मिनरल्स और ओमेगा-3 होते हैं। विशेष रूप से अखरोट में सबसे ज्यादा ओमेगा-3 होता है, जो मांसपेशियों और मस्तिष्क के विकास के लिए लाभकारी है।
दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, छेना, और दही भी प्रोटीन और कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं। बच्चों के लिए दही और सब्जियों के साथ रायता और पनीर के पराठे बनाए जा सकते हैं। कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे अश्वगंधा चूर्ण, बाला, और शतावरी दूध की कमी की पूर्ति में सहायक होती हैं। इन जड़ी-बूटियों में मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने की क्षमता होती है।
अंततः, मांसाहार पसंद करने वाले बच्चे अंडे और मछली से भी प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं। चिकन और मटन में भी भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, लेकिन बच्चों को इन्हें कम मात्रा में देना चाहिए क्योंकि उनका पाचन तंत्र धीमी गति से काम करता है।