क्या 'अर्ध मत्स्येन्द्रासन' बढ़ती उम्र में बेहद लाभदायक है?

Click to start listening
क्या 'अर्ध मत्स्येन्द्रासन' बढ़ती उम्र में बेहद लाभदायक है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि अर्ध मत्स्येन्द्रासन वृद्धावस्था में कैसे मदद कर सकता है? यह आसन कब्ज, दमा और पाचन समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत लाभकारी है। जानें इस आसन के लाभ और इसे सही तरीके से कैसे किया जाए।

Key Takeaways

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन वृद्धावस्था में लाभकारी है।
  • यह कब्ज, दमा और पाचन समस्याओं से राहत देता है।
  • इस आसन का नियमित अभ्यास एड्रिनल ग्रंथि को सुधारता है।
  • यह लिवर, किडनी और आंतों के लिए फायदेमंद है।
  • योग विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बढ़ती उम्र कई स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर आती है। लेकिन योग और आसन हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करते हैं। इनमें से एक है अर्ध मत्स्येन्द्रासन। इस आसन का नियमित अभ्यास करने से कब्ज, दमा और पाचन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

इसे एड्रिनल ग्रंथि के लिए लाभकारी माना जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन एक ऐसा योगासन है जो रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और पाचन में सुधार करता है। यह आसन बैठकर किया जाता है, जिसमें शरीर एक तरफ मुड़ता है और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न होता है। नतीजतन, गर्दन के आस-पास की नसें भी खिंचती हैं, जिससे ब्रेन टिश्यू में ब्लड फ्लो सुधरता है और तनाव कम होता है। ब्रेन पावर में भी वृद्धि होती है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, अर्ध मत्स्येन्द्रासन वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह उनकी एड्रिनल ग्रंथि की स्थिति को सुधारता है। यह आसन कब्ज, दमा और पाचन संबंधी समस्याओं को निवारण में सहायता करता है। यह आसन करने से पहले एक योग विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत आवश्यक है, ताकि सही विधि का ज्ञान हो सके।

सामान्य रूप से इस आसन के अभ्यास से लिवर, किडनी और आंतों की हल्की मालिश होती है। यह आसन पैनक्रियाज को सक्रिय करने में मदद करता है, और नियमित रूप से इसे करने से डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी सहायता मिलती है।

आज के युग में, डायबिटीज एक सामान्य समस्या बन चुकी है, इसलिए यह आसन रोगियों के लिए भी लाभकारी हो सकता है और राहत का एक अच्छा विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे सही ढंग से करने की विधि भी बताते हैं। इसके लिए सबसे पहले दंडासन की मुद्रा में बैठना चाहिए और एक पैर को मोड़ना चाहिए। रीढ़ को सीधा और कंधों को सीधा बनाए रखें। दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और उसकी एड़ी को बाएं नितंब के पास रखें, ताकि पैर का तल जमीन को छू सके। इसके बाद बाएं पैर को मोड़ें और उसे दाएं घुटने के ऊपर ले जाकर दाएं पैर के बाहर जमीन पर रखें। बाएं पैर का तल जमीन पर पूरी तरह टिका होना चाहिए। सिर को दाईं ओर घुमाएं और कंधे की दिशा में देखें। इस दौरान सामान्य गहरी सांस लें। आसन में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें। ध्यान रीढ़ की हड्डी और सांस पर केंद्रित करें। इसके बाद धीरे-धीरे आसन से बाहर आकर प्रारंभिक स्थिति में लौटें।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि योग और आसन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन जैसे आसन वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका क्या है?
अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के लिए पहले दंडासन की मुद्रा में बैठें, फिर एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर के ऊपर रखें। रीढ़ को सीधा रखें और सिर को दाईं ओर घुमाएं।
क्या अर्ध मत्स्येन्द्रासन से डायबिटीज नियंत्रित किया जा सकता है?
हाँ, नियमित रूप से अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से पैनक्रियाज सक्रिय होता है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।