क्या दूध आयुर्वेदिक गुणों का पावरहाउस है? जानिए पीने का सही समय और तरीका
सारांश
Key Takeaways
- दूध के पोषण गुणों को समझें।
- दूध पीने का सही समय और तरीका जानें।
- दूध के साथ किन चीजों का सेवन न करें।
- औषधीय गुणों को बढ़ाने के लिए दूध में क्या मिलाएं।
- दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में प्राचीन काल से दूध को संपूर्ण आहार और अमृत के समान माना जाता है। आयुर्वेद के दृष्टिकोण से, दूध केवल पोषण का साधन नहीं है, बल्कि यह एक औषधि भी है, बशर्ते इसे सही समय, सही मात्रा और सही तरीके से सेवन किया जाए। दूध का रस मीठा, वीर्य शीतल और विपाक मधुर होता है। इसके गुण इसे भारी, चिकनाई युक्त और बलवर्धक बनाते हैं।
यह विशेष रूप से वात और पित्त दोष को शांत करता है और शरीर, मन और आत्मा को पोषण प्रदान करता है।
दूध के अनेक लाभ हैं। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, शरीर की संरचना को बनाए रखता है और दिमाग की कार्यक्षमता में सुधार करता है। रात में गुनगुना दूध पीने से नींद में सुधार होता है। अदरक या त्रिकटु मिलाकर लिया गया दूध पाचन में मदद करता है। दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा पर चमक लाता है और मानसिक-शारीरिक थकान में ऊर्जा प्रदान करता है।
दूध पीने का सर्वोत्तम समय रात में होता है। सुबह खाली पेट दूध नहीं लेना चाहिए, खासकर यदि पाचन कमजोर हो। दूध के साथ खट्टे फल, नमक, मांसाहार, सोड़ा या दही जैसी चीजें नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि इससे एलर्जी या त्वचा रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
दूध को हल्का गर्म करके ही सेवन करें। इसमें औषधियां मिलाकर पीने से और अधिक लाभ होता है। हल्दी वाला दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, अश्वगंधा दूध बल और वीर्य वर्धक है, त्रिफला दूध आंखों और त्वचा के लिए फायदेमंद है, दालचीनी दूध शुगर नियंत्रण में मदद करता है, केसर दूध त्वचा और प्रजनन क्षमता में वृद्धि करता है और जायफल दूध नींद के लिए अच्छा होता है। कब्ज में दूध में एक चम्मच घी मिलाकर रात में लेने से लाभ होता है। हमेशा दूध को उबालकर ही पिएं ताकि यह पचने में आसान हो और रोगजनक बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं।
भोजन के तुरंत बाद दूध नहीं लेना चाहिए। डायबिटीज वाले लोग इसे बिना शहद या मिश्री के लें। पाचन कमजोर हो तो हल्दी या त्रिकटु मिलाकर लें।