क्या गर्भावस्था में अल्कोहल का एक घूंट भी बच्चे के लिए जहर बन सकता है? : डॉ. मीरा पाठक

सारांश
Key Takeaways
- गर्भावस्था में अल्कोहल का सेवन खतरनाक है।
- एक घूंट भी बच्चे के लिए जहर बन सकता है।
- बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि महिलाएं गर्भधारण से पहले ही अल्कोहल का सेवन बंद कर दें।
- अल्कोहल से भ्रूण में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- इस जागरूकता का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित रखना है।
नोएडा, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर वर्ष 9 सितंबर को 'अंतरराष्ट्रीय भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम दिवस' मनाया जाता है। यह दिन साल के नौवें महीने के नौवें दिन आता है। इस अवसर पर संदेश दिया जाता है कि गर्भावस्था के पूरे 9 महीने में एक बूंद भी अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस विशेष दिन पर, राष्ट्र प्रेस ने नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक से अल्कोहल के गंभीर प्रभावों पर चर्चा की।
डॉ. पाठक ने कहा, ''गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का सेवन बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, चाहे उसकी मात्रा कितनी ही कम क्यों न हो। प्रेग्नेंसी के दौरान अल्कोहल की कोई सुरक्षित सीमा नहीं होती। यहां तक कि एक घूंट अल्कोहल भी बच्चे की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। इसीलिए 9 सितंबर को दुनिया भर में यह जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है कि गर्भवती महिलाएं या जो गर्भवती होने की योजना बना रही हैं, उन्हें पूरी तरह अल्कोहल से दूर रहना चाहिए।''
डॉ. पाठक ने बताया, ''जब कोई महिला अल्कोहल का सेवन करती है, तो वह अल्कोहल उसके शरीर के माध्यम से प्लेसेंटा के जरिए सीधे भ्रूण तक पहुंच जाता है। भ्रूण का शरीर अभी विकसित हो रहा होता है और वह किसी भी प्रकार के जहरीले पदार्थ, विशेषकर अल्कोहल, से अपनी रक्षा नहीं कर सकता। इससे बच्चे के शरीर, दिमाग और व्यवहार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अधिकतर गर्भधारण बिना किसी योजना के होते हैं। ऐसे में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि वे गर्भवती हैं और वे सामान्य दिनों की तरह सामाजिक रूप से या आदतन अल्कोहल का सेवन करती रहती हैं। जब तक उन्हें गर्भावस्था का पता चलता है, तब तक भ्रूण अल्कोहल के संपर्क में आ चुका होता है और दुष्प्रभाव शुरू हो चुके होते हैं।''
अल्कोहल के कारण भ्रूण पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख करते हुए डॉ. पाठक ने आगे कहा, ''अल्कोहल गर्भ में बच्चे के शरीर में कई प्रकार की जन्मजात विकृतियां पैदा कर सकता है। बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है, वजन सामान्य से काफी कम हो सकता है, उसका विकास धीमा हो सकता है, और गर्भपात की संभावना भी बढ़ सकती है। चेहरे की बनावट में भी असामान्यताएं देखी जाती हैं, जैसे ऊपरी होंठ का पतला होना, नाक और होंठ के बीच की जगह, जिसे फिल्ट्रम कहते हैं, पूरी तरह से स्मूद होना, और आंखों का आकार सामान्य से छोटा होना। ये सब लक्षण फीटल अल्कोहल सिंड्रोम के संकेत होते हैं।''
उन्होंने आगे कहा, ''सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और व्यवहारिक समस्याएं भी ऐसे बच्चों में पाई जाती हैं, जैसे कमजोर याददाश्त, कम आईक्यू, पढ़ाई में कठिनाई, हाइपर-एक्टिविटी, नींद की समस्याएं, सामाजिक संपर्क की कमी और आत्मविश्वास की भारी कमी। ये सभी समस्याएं बच्चे के जीवन को प्रभावित करती हैं। इस सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि जो महिलाएं गर्भवती होने की योजना बना रही हैं, वे कम से कम तीन महीने पहले ही अल्कोहल का सेवन पूरी तरह बंद कर दें। इससे शरीर पूरी तरह से डिटॉक्स हो जाएगा और शिशु को सुरक्षित वातावरण मिलेगा। गर्भावस्था का पता लगते ही तुरंत अल्कोहल से दूरी बना लेनी चाहिए।''
डॉ. मीरा पाठक ने स्पष्ट कहा, ''गर्भावस्था में अल्कोहल की कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं है। यह एक भ्रांति है कि थोड़ी-बहुत अल्कोहल से कोई फर्क नहीं पड़ता। असलियत यह है कि एक घूंट अल्कोहल भी बच्चे को जीवनभर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।''