क्या गुजरात में टीडी और डीपीटी टीकाकरण अभियान शुरू हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- टीडी और डीपीटी टीके बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।
- इस अभियान में 24 लाख से अधिक बच्चों को टीका लगाया जाएगा।
- टीके 1985 से बच्चों को लगाए जा रहे हैं।
- यह अभियान सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है।
- टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
मेहसाणा, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने गुरुवार को मेहसाणा जिले के उंझा से एक राज्य-स्तरीय टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। इस अभियान में दो प्रकार के टीके लगाए जाएंगे, पहला टीडी, जो टेटनस और डिप्थीरिया से सुरक्षा प्रदान करता है, और दूसरा डीपीटी, जिसे 'ट्रिपल एंटीजन' भी कहा जाता है, जो डिप्थीरिया, काली खांसी और टेटनस से बचाता है।
इस अभियान का मुख्य लक्ष्य बच्चों और किशोरों को टेटनस, डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो और निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाना है।
इस सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 992 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमें पूरे राज्य में टीकाकरण करेंगी। ये टीमें 47,439 स्कूलों में जाकर टीके लगाएंगी, जिससे करीब 18.2 लाख छात्रों को वैक्सीनेट किया जाएगा।
अतिरिक्त, सरकार इस अभियान के अंतर्गत लगभग 6.1 लाख छोटे बच्चों को टीका लगाएगी। ये टीके लगभग 39,045 आंगनवाड़ियों में दिए जाएंगे। इनमें बच्चों को डीपीटी बूस्टर का दूसरा टीका मिलेगा, जो राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत अनिवार्य होता है।
यह अभियान भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का एक हिस्सा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2019 से 10 और 16 साल के बच्चों को टीडी टीके दिए जा रहे हैं।
पिछले वर्ष गुजरात में इस अभियान के तहत 23 लाख से अधिक किशोरों, स्कूल जाने वाले और जो स्कूल नहीं जाते, उन सभी को टीडी टीके लगाए गए। अभियान की सफलता को देखते हुए अब गुजरात में हर वर्ष जून और जुलाई में टीडी टीकाकरण अभियान चलाया जाता है।
इस वर्ष के टीकाकरण अभियान में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के कक्षा 5 और कक्षा 10 के बच्चों को टीडी टीके दिए जाएंगे, जबकि 5 साल से छोटे बच्चों को डीपीटी बूस्टर का दूसरा टीका लगाया जाएगा। ये टीके बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
पिछले तीन साल के स्वास्थ्य आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि डिप्थीरिया और टेटनस के मामले काफी कम हो गए हैं। छोटे बच्चों में काली खांसी के मामलों में भी कमी आई है।
इस अभियान के लिए 10,764 से अधिक स्वास्थ्य टीमें स्कूलों में जाकर टीडी टीकाकरण अभियान का संचालन करेंगी।
जो बच्चे अपने निर्धारित समय पर टीका नहीं लगवा पाए हैं, उन्हें आगामी टीकाकरण सत्रों में टीका लगाया जाएगा। यह अभियान राज्य के शिक्षा विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि टीडी और डीपीटी दोनों टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं और 1985 से देश में बच्चों को लगाए जा रहे हैं। ये टीके बच्चों की सेहत के लिए आवश्यक और सुरक्षित हैं।