क्या हलिम माताओं के लिए वरदान है, जो स्वाद के साथ सेहत का भी ख्याल रखता है?
सारांश
Key Takeaways
- हलिम सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है।
- प्रसव के बाद महिलाओं के लिए वरदान।
- हलिम के लड्डू बनाना आसान है।
- आयरन से भरपूर, खून की कमी में सहायक।
- डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हलिम (गार्डन क्रेस सीड्स) भले ही दिखने में साधारण लगे, पर इसमें सेहत का खजाना छिपा है। इसे नई माताओं के लिए बेहद पौष्टिक माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अस्तिक्य बीज या गर्दभ बीज के नाम से जाना जाता है।
हलिम प्रसव के बाद महिलाओं की कमजोरी, दूधखून की कमी से निपटने में मदद करता है। इसलिए कई जगहों पर हलिम के लड्डू नई माताओं को विशेष रूप से दिए जाते हैं। ये लड्डू न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि शरीर को ताकत भी प्रदान करते हैं, इसीलिए सामान्य लोग भी इन्हें अपनी दैनिक आहार में शामिल करते हैं।
हलिम के लड्डूहलिम के बीजों को दूध में कुछ घंटों के लिए भिगोया जाता है, ताकि वे फूलकर नरम हो जाएं। उसके बाद घी गरम करके इसमें भिगोए हुए हलिम को हल्का-सा भून लिया जाता है। फिर इसमें नारियल, गुड़ और कटे हुए मेवे डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता है। अंत में गैस बंद करके इसे थोड़ा ठंडा होने पर लड्डू बना लिया जाता है। कुछ लोग इसमें इलायची और खसखस भी मिलाते हैं, जिससे लड्डू और भी पौष्टिक बन जाते हैं।
प्रसव के बाद कई महिलाओं को कमजोरी, कमर दर्द, थकान और दूध की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में हलिम के लड्डू का सेवन बहुत लाभदायक होता है। इससे शरीर में गर्मी और ताकत मिलती है, हड्डियां मजबूत होती हैं और खून की मात्रा बढ़ती है। हलिम को आयरन से भरपूर माना जाता है, इसलिए इसे खून की कमी के उपचार में भी खाया जाता है।
हालांकि, यह बातें पारंपरिक अनुभवों पर आधारित हैं। हर व्यक्ति का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया दे सकता है, इसलिए प्रसव के बाद किसी भी नई चीज को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है। खासकर अगर किसी को एलर्जी, मधुमेह या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या हो, तो सावधानी आवश्यक है।