क्या शेख हसीना को मौत की सजा मिलने के बाद बांग्लादेश में तनाव बढ़ गया है?
सारांश
Key Takeaways
- शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई।
- बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण है।
- अंतरिम सरकार ने संयम बरतने की अपील की है।
- पूर्व गृह मंत्री को भी सजा सुनाई गई थी।
- सरकार ने हिंसा से बचने की चेतावनी दी है।
ढाका, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटीबीडी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। इस निर्णय के बाद बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, जिसको देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नागरिकों से संयम बरतने की अपील की है।
अंतरिम सरकार ने एक संदेश में कहा कि मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा एक ऐतिहासिक निर्णय है। इस निर्णय का महत्व समझते हुए, सरकार सभी नागरिकों से शांत, संयमित और जिम्मेदार बने रहने का आग्रह करती है।
सरकार ने यह भी कहा कि इस फैसले के बाद सभी से विशेष अनुरोध किया जा रहा है कि वे किसी भी प्रकार के अभद्र व्यवहार, उकसावे, हिंसा या गैरकानूनी गतिविधियों से बचें।
कहा गया है कि जुलाई विद्रोह के शहीदों के परिवारों द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित इस निर्णय से स्वाभाविक रूप से लोगों में तीव्र भावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, सरकार दृढ़ता से चेतावनी देती है कि किसी को भी ऐसी भावनाओं में बहकर सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने वाले तरीके से कार्य नहीं करना चाहिए। अराजकता, अव्यवस्था, या सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के किसी भी प्रयास को सख्ती से दबा दिया जाएगा।
इससे पहले, बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने कहा था कि अपदस्थ पूर्व पीएम शेख हसीना कठोरतम सजा की पात्र हैं, जबकि इसी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व आईजीपी ममून पर नरमी बरती गई। उन्हें महज पांच साल की सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने हसीना के साथ उनके दो करीबियों को भी दोषी माना था। इनमें शामिल हैं पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुला अल ममून। ममून सरकारी गवाह बन गए और उन्हें माफी मिल गई।
बांग्लादेश के पूर्व आईजीपी ममून ने माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट का पूरा साथ दिया। उन्होंने माना कि वे हिंसा में शामिल थे और कहा कि 4 लोगों ने मिलकर साजिश की तथा सभी PM के आवास पर रोज बैठक किया करते थे। ममून ने अपनी नौकरी की दुहाई दी और कहा कि उन्होंने 36 साल की सेवा में कोई जुर्म नहीं किया, लेकिन इस घटना ने उनकी छवि खराब कर दी।
2010 में न्यायाधिकरण की स्थापना के बाद माफी मांगकर गवाह बनने वाले ममून पहले अभियुक्त बन गए हैं।