क्या बांग्लादेश में अवामी लीग ने हसीना की सजा को 'अवैध' बताया?
सारांश
Key Takeaways
- अवामी लीग ने शेख हसीना की सजा के खिलाफ देशव्यापी बंद का ऐलान किया।
- आईसीटी का फैसला अवैध बताया गया।
- 19-21 नवंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होगा।
- बंद का उद्देश्य राजनीतिक साजिशों के खिलाफ आवाज उठाना है।
- बांग्लादेश की राजनीति में यह घटना महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है।
ढाका, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अवामी लीग ने मंगलवार को देशभर में बंद का ऐलान किया है। पार्टी ने न्यायालय के निर्णय को अवैध बताते हुए 19-21 नवंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने का भी संकल्प लिया है।
पार्टी ने बांग्लादेश की आईसीटी के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी अध्यक्ष के खिलाफ एक हास्यास्पद मुकदमा चलाया गया है।
सोमवार को आईसीटी (इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल) ने शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। इस फैसले के कुछ ही घंटों बाद अवामी लीग ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
आईसीटी ने हसीना के दो प्रमुख सहयोगियों को भी दोषी ठहराया है। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा दी गई है, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-ममुन (जो सरकारी गवाह बन गए थे) को पांच साल की सजा सुनाई गई है।
अवामी लीग ने इस संदर्भ में एक बयान जारी करते हुए कहा है, "आज (सोमवार को) माननीय प्रधानमंत्री, बंगबंधु की बेटी शेख हसीना और अन्य के खिलाफ अवैध आईसीटी ट्रिब्यूनल के चलाए हास्यास्पद मुकदमे के माध्यम से एक अवैध फैसला सुनाया गया है। यह फैसला फासीवादी यूनुस और उनके सहयोगियों की मंशा के अनुरूप है। यह बांग्लादेश के कानून और न्याय व्यवस्था को रौंदकर तैयार किया गया है। यह मानवता-विरोधी युद्ध अपराधियों के मुकदमों का बदला लेने की मंशा के तहत किया गया। इसलिए, आरोपों और अपराधों को साबित करने में असफल रहने के बावजूद, यह फैसला सुनाया गया।"
बयान में आगे कहा गया है, "यह राज्य-विरोधी और स्वतंत्रता-विरोधी ताकतों द्वारा रची गई एक स्पष्ट साजिश है, जिसका उद्देश्य मुक्ति संग्राम से आजादी हासिल करने वाले बांग्लादेश को नष्ट करना है। बंगाल के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे और हम इस अवैध ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए फैसले का कड़ा विरोध करते हैं।"
आईसीटी के विवादास्पद फैसले के बाद, हसीना ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ सुनाया गया फैसला एक ऐसे ट्रिब्यूनल द्वारा लिया गया है जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है, ऐसी सरकार जिसके पास लोकतांत्रिक जनादेश का अभाव है। पूर्व प्रधानमंत्री ने इस फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया।
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने फैसले के बाद एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, "मृत्युदंड की अपनी घृणित मांग से, वे अंतरिम सरकार के भीतर चरमपंथी लोगों के निर्लज्ज और जानलेवा इरादे को उजागर करते हैं। दोषी ठहराकर ये लोग बांग्लादेश की अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को हटाना चाहते हैं और अवामी लीग को एक राजनीतिक ताकत के रूप में खत्म करना चाहते हैं। डॉ. मोहम्मद यूनुस के अराजक, हिंसक प्रशासन के अधीन काम कर रहे लाखों बांग्लादेशी, उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने के इस प्रयास से मूर्ख नहीं बनेंगे। वे देख सकते हैं कि तथाकथित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के चलाए मुकदमों का उद्देश्य कभी भी न्याय प्राप्त करना या जुलाई और अगस्त 2025 की घटनाओं की कोई वास्तविक जानकारी प्रदान करना नहीं था। बल्कि, उनका उद्देश्य अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना और डॉ. यूनुस और उनके मंत्रियों की विफलताओं से दुनिया का ध्यान भटकाना था।