क्या कानून से ऊपर कोई भी नहीं? मोहम्मद यूनुस का बयान
सारांश
Key Takeaways
- कानून की समानता सभी के लिए आवश्यक है।
- जवाबदेही का महत्व बढ़ा है।
- न्यायिक प्रक्रिया को ताकत मिली है।
- लोकतांत्रिक नींव का पुनर्निर्माण आवश्यक है।
- मानवाधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
ढाका, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वहां के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई है। इस निर्णय ने बांग्लादेश में तनाव का वातावरण पैदा कर दिया है। आईसीटी के आदेश पर, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने बयान दिया है कि आज बांग्लादेश की अदालतों ने अपनी बात इतनी स्पष्टता से रखी है कि उसकी गूंज पूरे देश और उसके बाहर तक सुनाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि और सजा एक बुनियादी सिद्धांत की पुष्टि करती है। चाहे कोई भी ताकतवर हो या कमजोर, कानून सभी के लिए समान है। अदालत का यह फैसला जुलाई और अगस्त 2024 के विद्रोह के पीड़ित हजारों लोगों और परिवारों को न्याय प्रदान करता है।
मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हम वर्षों के उत्पीड़न से ध्वस्त लोकतांत्रिक नींव के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में हैं। जिन अपराधों पर विचार किया जा रहा है, उनमें बेकसूर युवाओं और बच्चों के खिलाफ घातक बल का आदेश शामिल है, जिसने हमारे कानूनों और सरकार तथा नागरिकों के बीच के बुनियादी बंधन का उल्लंघन किया है। इन कृत्यों ने बांग्लादेशियों के मूल मूल्यों: गरिमा, लचीलापन और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान लगभग 1,400 लोगों की जान चली गई। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि छात्र, अभिभावक और अधिकार संपन्न नागरिक थे। महीनों तक चली गवाही में बताया गया कि कैसे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर घातक बल का प्रयोग किया गया। यह फैसला उनकी पीड़ा को समझता है और यह पुष्टि करता है कि हमारी न्याय व्यवस्था अपराधियों को जवाबदेह ठहराएगी।
उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश अब जवाबदेही की वैश्विक धारा में फिर से शामिल हो रहा है। बदलाव के पक्षधर छात्र और नागरिक इसे समझते थे, और कई लोगों ने इसके लिए अपनी जान दी है। उन्होंने हमारे कल के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया। आगे की राह में न केवल कानूनी जवाबदेही की आवश्यकता है, बल्कि संस्थाओं और नागरिकों के बीच विश्वास का पुनर्निर्माण भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि बांग्लादेश आने वाली चुनौतियों का साहस और विनम्रता के साथ सामना करेगा। कानून के शासन, मानवाधिकारों और प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, बांग्लादेश में न्याय न केवल जीवित रहेगा, बल्कि प्रबल भी होगा और कायम भी रहेगा।